Assembly Election 2023 News: मिजोरम में 40 सीटों के लिए और छत्तीसगढ़ में पहले चरण के तहत 20 सीटों के लिए मतदान हो चुका है. छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के मतदान के बाद और फिर मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में वोटिंग के बाद 3 दिसंबर को सभी 5 राज्यों के वोटों की गिनती होगी. तब तक वोटिंग वाले ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम (Strong Room)  में जमा रहेंगे. यहां कई लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिरकार यह स्ट्रॉन्ग रूम होता क्या है और इनमें ईवीएम कैसे ले जाते हैं, वहां यह कैसे सुरक्षित रहते हैं.


दरअसल, वोटिंग प्रक्रिया पूरी होते ही तुरंत ईवीएम को पोलिंग बूथ से स्ट्रॉन्ग रूम तक नहीं भेजते हैं. ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम भेजने से पहले प्रीसाइडिंग ऑफिसर ईवीएम में वोटों के रिकॉर्ड का टेस्ट करता है. इसके बाद सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट को एक सत्यापित कॉपी दी जाती है. इसके बाद ईवीएम को सील करते हैं. फिर पोलिंग एजेंट अपने साइन करते हैं. साइन करने के बाद प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र से स्ट्रॉन्ग रूम तक ईवीएम के साथ ही जाते हैं. एक बार जब स्ट्रॉन्ग रूम में सारी ईवीएम आ जाती हैं तो उसे सील कर दिया जाता है.


जहां ईवीएम रखी जाए, वही है स्ट्रॉन्ग रूम


स्ट्रांग रूम का मतलब है वो कमरा, जहां पोलिंग बूथ से लाई गई ईवीएम रखी जाती है. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा चुनाव आयोग तीन स्तर पर करता है. स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर की सुरक्षा केंद्रीय अर्ध सैनिक बल करते हैं. इसके अंदर केंद्रीय बल के जवान भी ईवीएम की सुरक्षा में रहते हैं. सबसे बाहरी सुरक्षा घेरा राज्य पुलिस बलों का होता है.


क्या स्ट्रॉन्ग रूम खोला जा सकता है?


एक बार अगर स्ट्रॉन्ग रूम सील हो गया है तो उसे काउंटिंग के दिन सुबह ही खोला जाता है. विशेष परिस्थिति या इमरजेंसी मं स्ट्रॉन्ग रूम खोलना जरूरी है तो ये तभी खुलेगा जब वहां प्रत्याशी भी मौजूद रहेंगे. बिना उनकी मौजूदगी के इसे नहीं खोला जा सकता है.


चुनाव से पहले ईवीएम कहां होती है?


चुनाव से पहले ईवीएम डिस्ट्रिक्ट इलेक्टोरल ऑफिसर (डीईओ) की निगरानी में वहां के गोदाम में रखी जाती है. इस गोदाम की सुरक्षा में हमेशा फोर्स तैनात रहती है. इसके अलावा सीसीटीवी से भी नजर रखी जाती है. चुनाव से पहले चुनाव आयोग के प्रमुख के आदेश के बिना ईवीएम बाहर नहीं लाई जा सकती है.


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