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Assembly Election 2023: क्या होती है किसी प्रत्याशी की जमानत राशि, किस स्थिति में होती है जब्त, जानिए इससे जुड़े सारे नियम

Election News: भारत में चुनाव लड़ने के लिए निर्वाचन आयोग ने कुछ नियम बना रखे हैं. हर प्रत्याशी के लिए इनका पालन करना जरूरी है. इन्हीं में से एक नियम है जमानत राशि का, जिसे हर प्रत्याशी जमा कराता है.

Assembly Election 2023: चुनावी मौसम शुरू हो चुका है. अगले महीने पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम) में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव और फिर 6 अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे. चुनाव के दौरान जब नतीजे आते हैं तो आप अक्सर ये सुनते होंगे कि फलां उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई, या वो उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाया.

इस शब्द को सुनकर आपके मन में कई बार सवाल भी आया होगा कि आखिर ये जमानत जब्त होना क्या है. आज हम आपको बताएंगे कि जमानत जब्त होना किसे कहते हैं, किस स्थिति में किसी प्रत्याशी की जमानत जब्त होती है, जमानत की राशि कितनी होती है, जमानत बचाने के लिए क्या जरूरी है.

क्या है जमानत जब्त होना?

नियम के मुताबिक, चुनाव में खड़े होने वाले हर प्रत्याशी को एक तय राशि चुनाव आयोग में जमा करानी होती है, इसे ही जमानत राशि कहते हैं. चुनाव के बाद जब कोई प्रत्याशी तय वोट हासिल हासिल नहीं कर पाता तो चुनाव आयोग की ओर से उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है. लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, राष्ट्रपति चुनाव, उप-राष्ट्रपति चुनाव, नगर निगम चुनाव, निकाय चुनाव और अन्य चुनाव में जमानत राशि अलग-अलग होती है.

कब जब्त होती है जमानत?

चुनाव आयोग के नियम के अनुसार, किसी भी चुनाव में जब किसी प्रत्याशी को उक्त सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट नहीं मिलता तो आयोग उसकी जमानत राशि जब्त कर लेता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि एक विधानसभा सीट पर 1 लाख लोगों ने वोट डाला और वहां खड़े 5 कैंडिडेट्स को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो पांचों की जमानत राशि जब्त हो जाएगी.

इस स्थिति में वापस मिलती है जमानत राशि

अगर कोई प्रत्याशी उस सीट पर पड़े कुल वोट में से 1/6 से ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो चुनाव आयोग उसकी जमानत राशि लौटा देता है. इसके अलावा सीट से जीतने वाले प्रत्याशी की भी जमानत राशि लौटाई जाती है. भले ही जीतने वाले उम्मीदवार को 1/6 से कम वोट ही क्यों न मिले हों. इससे अलग अगर मतदान शुरू होने से पहले किसी कैंडिडेट्स की मौत हो जाती है, तो उसके परिवार को आयोग जमानत राशि लौटा देता है. प्रत्याशी अगर नाम वापस लेता है या फिर उसका नॉमिनेशन कैंसल होता है तो भी उसे जमानत राशि वापस मिल जाती है.

किस चुनाव में कितनी राशि?

लोकसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए 25 हजार रुपये की जमानत राशि रखी गई है. वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये राशि 12,500 रुपये है. विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 10 हजार रुपये की जमानत राशि देनी होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के प्रत्याशी को 5 हजार रुपये देने होते हैं. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में सभी वर्ग के प्रत्याशियों के लिए जमानत राशि समान होती है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं.

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