नई दिल्ली: आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है. कांग्रेस जानती है वो अपनी सरकार नहीं बना सकती इसलिए अंदरखाने उसने दिल्ली में 'किंगमेकर' बनने का लक्ष्य रखा है. दिल्ली कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस को उम्मीद है कि दिल्ली विधानसभा में खंडित जनादेश आएगा यानी किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा. ऐसी सूरत में कांग्रेस की भूमिका किंगमेकर की होगी. किंगमेकर बनने के लिए कांग्रेस ने कई लोकलुभावन वादे करने भी शुरू कर दिए हैं.


फिर दिल्ली में बनेगा आप-कांग्रेस गठबंधन !


एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि कांग्रेस के लिए लड़ाई चुनौतीपूर्ण है लेकिन दिल्ली की राजनीति में उसने वापसी कर ली है. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस दोहरे अंकों में सीटें जीत सकती है. कांग्रेस नेता ने ये भी कहा कि मौजूदा हालात में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं आएगा. ऐसी स्थिति में क्या कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर सरकार बनाएगी? उन्होंने बताया कि कांग्रेस पहले भी केजरीवाल सरकार को बाहर से समर्थन दे चुकी है इसलिए इस बार भी उसे इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.


युवाओं के भरोसे कांग्रेस, बड़े नेता बनाएंगे रणनीति


सूत्र बताते हैं कि दिल्ली की बदली हुई परिस्थितियों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़ी संख्या में युवा और जमीनी नेताओं को टिकट देने जा रही है. प्रदेश की राजनीति में सक्रिय कई बड़े चेहरे चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन चुनावी कमान उनके हाथों में रहेगी. प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा, प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्षों अजय माकन, जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली जैसे नेताओं पर चुनावी चक्रव्यूह से पार्टी को निकालने का दारोमदार है. 10 जनवरी के आसपास उम्मीदवारों के नाम तय हो जाएंगे. उम्मीदवारों को लिस्ट जल्दी जारी कर पार्टी उन्हें प्रचार का पर्याप्त मौका देना चाहती है.


600 यूनिट बिजली फ्री, गरीबों को 72 हजार सालाना


वोटरों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने लोकलुभावन वादे करना शुरु कर दिया है. घोषणापत्र बनाने की जिम्मेदारी अजय माकन को दी गई है. हालांकि केजरीवाल के मुफ्त बिजली कार्ड को टक्कर देने के लिए कांग्रेस दिल्ली में 600 यूनिट बिजली मुफ्त देने का एलान कर चुकी है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम पर "शीला पेंशन योजना" के तहत बुजुर्ग, दिव्यांग, विधवा पेंशन को बढ़ा कर 5000 प्रति माह करने का वादा भी किया जा रहा है. कांग्रेस की "न्याय योजना" के तहत हर गरीब परिवार को 72,000 रुपए सलाना देने का वादा भी कांग्रेस कर चुकी है. लेकिन कहीं ये वादे हवा-हवाई तो नहीं? इस सवाल के जवाब में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा कहते हैं कि "कांग्रेस एक जिम्मेदार पार्टी है. हम जो वादे कर रहे हैं उन्हें पूरा भी करेंगे."


चौंकाने वाले होंगे नतीजे- चाको


प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको ने कहा कि "पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी का ग्राफ नीचे जा रहा है. दिल्ली में मुकाबला कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच होगा. आने वाले दिनों में कई नेता कांग्रेस में शामिल होंगे. दिल्ली के नतीजे चौंकाने वाले होंगे."


पिछले दो विधानसभा चुनावों का हाल


2013 के विधानसभा चुनाव में पंद्रह सालों से चल रही कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार की हार हुई लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. कुल 70 सीटों में से बीजेपी को 31, पहली बार उतरी आप को 28 और कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी. तब कांग्रेस पार्टी ने केजरीवाल सरकार को बाहर से समर्थन दिया था. हालांकि सरकार बनाने के 49वें दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. 2015 में हुए मध्यावधि चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीत कर बंपर बहुमत की सरकार बनाई. जबकि बीजेपी को केवल 3 सीटें मिली और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. इसके दो साल बाद बाद हुए नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने आप को हरा दिया और कांग्रेस ने तीसरे स्थान पर रहते हुए भी वोट शेयर में सुधार किया. इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया लेकिन कांग्रेस ने आप को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन सरकार बनाने के बाद दिल्ली को लेकर कांग्रेस का हौसला बढ़ा हुआ है.


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