नई दिल्ली: तीन राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए सुरक्षा इंतजाम को चाक चौबंद करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में करीब 25,000 सुरक्षाकर्मियों की चुनाव ड्यूटी पर तैनाती का आदेश दिया है. इन अर्धसैन्यकर्मियों और राज्य पुलिसकर्मियों को उनके लिए तय किए गए राज्यों में 15 अक्टूबर तक अपनी जिम्मेदारी संभाल लेने को कहा गया है. ये जवान चुनाव के लिए भेजे जाने वाली अतिरिक्त 250 कंपनियों का हिस्सा हैं.


उपलब्ध नवीतनम निर्देश की प्रति के अनुसार 50-50 नयी कंपनियां मध्यप्रदेश और राजस्थान भेजी जानी हैं और सर्वाधिक 150 कंपनियां छत्तीसगढ़ भेजी जाएंगी. छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में माओवादी हिंसा का सबसे अधिक खतरा है. राज्य पुलिस या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की एक कंपनी में करीब 100 जवान होते हैं.


इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये 250 कंपनियां इन राज्यों में पहले से ही नक्सल रोधी अभियानों और कानून व्यवस्था में सहायता पहुंचाने के लिए तैनात अर्धसैनिक बलों के अतिरिक्त हैं. छत्तीसगढ़ में पहले से ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षाबल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस की करीब 40 बटालियन (एक बटालियन में करीब 1,000 कर्मी) वाम उग्रवाद की गतिविधियों से निपटने के लिए पूर्णकालिक रूप से तैनात हैं.


अधिकारी ने बताया कि इन नयी 250 कंपनियों को अन्य ड्यूटी और प्रशिक्षण से हटाकर शीघ्र ही इन राज्यों में भेजना होगा. उन्होंने कहा, ''इन अतरिक्त कंपनियों को इन राज्यों में 15 अक्टूबर तक भेजने और उन्हें तैनात कर देने का आदेश है. चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों और चरणों की घोषणा किए जाने के बाद उनकी विस्तृत तैनाती योजना तैयार की जाएगी.''


नई इकाइयों के लिए अधिकतम श्रमशक्ति वैसे तो सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और आरपीएफ जैसे केंद्रीय सुरक्षाबलों से ली जा रही है लेकिन गृह मंत्रालय उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात से भी विशेष पुलिस बटालियनों की व्यवस्था करने में लगा है.


जिन बलों को छत्तीसगढ़ भेजा जा रहा है, गृह मंत्रालय ने उनके लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं. उनसे सुरक्षा और अन्य अभियानगत जरूरतों के लिए अपने नाइट विजन उपकरण, सेटेलाइट फोन जैसे संचार उपकरण, बुलेट प्रूफ जैकेट, जीपीएस प्रणाली और बख्तरबंद गाड़ियां साथ ले जाने को कहा गया है.


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अधिकारी ने कहा कि यह निर्देश छत्तीसगढ़ जा रही इकाइयों के लिए खासतौर पर है क्योंकि वहां पहले से तैनात बटालियन विभिन्न अभियानों में लगी हुई हैं और वे वहां पहुंचने वाली नई इकाइयों के लिए अपने उपकरण नहीं दे पाएंगी. इन तीनों राज्यों में अक्टूबर के आखिर और नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.


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