दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना: शिक्षा, रोजगार और व्यापार में की जाती है जरूरी मदद, ट्रेन, बस के पास भी मिलते हैं
भारत में दिव्यांगजनों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना का संचालन किया जा रहा है.
देश में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (DDRS) को बनाया गया. दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है. जिससे दिव्यांग के लिए समान अवसरों, समानता, सामाजिक न्याय और उनके सशक्तीकरण को सुनिश्चित किया जा सके. इसका संचालन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से किया जाता है.
यह सामाजिक रूप से न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से प्रदान की जाने वाली एक केंद्र पोषित योजना है. सभी पंजीकृत संगठन या संस्थान इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र हैं. उपयोगकर्ता इसका लाभ लेने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से नामित राज्य सरकार, राज्य आयुक्तों, राष्ट्रीय संस्थानों या संगठनों से संपर्क कर सकते हैं.
एक मई 2003 को विकलांगों के लिए स्वैच्छिक कार्रवाई को बढ़ावा देने की योजना को संशोधित करते हुए 'दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (DDRS)' नाम दिया गया था. हालांकि, 2003 में योजना में संशोधन होने के दौरान, 1999 के लागत मानदंडों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया था.
योजना का उद्देश्य
विकलांग लोगों के लिए समान अवसर और अधिकारों का संरक्षण अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इस योजना का संचालन किया गया था. इस योजना के तहत, हर साल 600 से अधिक एनजीओ को PwD के पुनर्वास के लिए अपनी परियोजनाएं चलाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
वित्त पोषित किए जा रहे एनजीओ हर साल 35000 से 40000 से अधिक लाभार्थियों को पुनर्वास सेवाओं की पूर्ति कर रहे हैं. इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से 90% तक की अनुदान राशि प्रदान की जाती है. इस योजना के माध्यम से दिव्यांगों के लिए शिक्षा, रोजगार और व्यवसाय के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं. इस योजना के तहत ही दिव्यांगजनों को ट्रेन, बस के पास और टिकट की सही व्यवस्था भी की जाती है.
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