हौसले को सलाम: अस्थमा के मरीज मंजूर खुद ऑक्सीजन लगाकर लोगों तक पहुंचा रहे ऑक्सीजन सिलेंडर
श्रीनगर के मंजूर अहमद की उम्र 48 साल है. वे अस्थमा के मरीज हैं लेकिन नाक में ऑक्सीजन का पाइप लगाकर लोगों के घरों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं.
श्रीनगर: कोरोना काल में देशभर से बहुत सारी दिल को छू लेने वाली तस्वीरें सामने आयी हैं. एक ऐसी ही तस्वीर श्रीनगर से आयी है जिसे देखकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. 48 साल के मंज़ूर अहमद चेहरे पर मास्क और नाक में ऑक्सीजन का पाइप लगाकर लोगों की मदद कर रहे हैं. मंजूर ड्राइवर हैं और श्रीनगर के रनग्रेथ इलाके में बने इंडस्ट्रीयल एस्टेट में एक निजी ऑक्सीजन प्लांट के साथ जुड़े है. वे अब्दुल यहां से ऑक्सीजन सिलेंडर की डिलीवरी और खाली सिलेंडर की आपूर्ति विभिन्न जगहों पर करते आये हैं.
मंज़ूर खुद अस्थमा के मरीज़ हैं और ज्यादा बीमार है. इसीलिए उनको 24 घंटे ऑक्सीजन के साथ रहना पड़ता है. लेकिन कोरोना के चलते बड़ी संख्या में कोविड के मरीज़ घर पर ही इलाज करा रहे हैं और इन तक वक़्त पर ऑक्सीजन नहीं पहुंचा तो बहुत मुश्किल हो सकती है. उनका कहना है कि अस्थमा की वजह से ऑक्सीजन की कमी क्या होती है, वे अच्छे से जानते हैं. अगर इस महामारी में वह किसी एक मरीज़ के लिए वक़्त पर ऑक्सीजन का सिलिंडर लेकर पहुंचे तो यह इंसानियत की जीत होगी.
मंज़ूर की हालत को देखते हुए उनका 14 साल का बेटा आजकल उनकी मदद करने के लिए ऑटो में साथ रहता है. एक तरफ इस तरह वह बीमार पिता पर नज़र भी रखता है और सिलेंडर उठाने का काम भी करता है.
मंजूर खुद मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लाने ले जाने का काम कर रहे हैं और इसको अल्लाह की तरफ से लिया गया इम्तिहान बताकर इसमें पूरी तरह कामयाब होने के प्रयास कर रहे है. लेकिन कहीं न कहीं इसके पीछे उनकी गरीबी भी एक वजह है. उनका कहना है कि ऑटो चला कर महीने के सात-आठ हज़ार कमा लेते हैं जिससे उनके परिवार और दवाई का खर्चा निकल जाता है. अगर वह लॉकडाउन के चलते घर में बैठ जाएं तो बहुत मुश्किल होगी. वे मुश्किल वक्त में सभी लोगों से हिम्मत ना हारने और कोरोना के साथ लड़ाई जारी रखने का सन्देश दे रहे हैं.
इनके जैसे सैकड़ों लोग इस कोरोना काल में अपनी तरफ से योगदान देने की कोशिश कर रहे है लेकिन यहां ज़रुरत है कि सरकार की तरफ से ऐसे गरीब लोगों की आर्थिक मदद हो. सच तो यही है कि कोरोना वॉरियर बने मंज़ूर को पेट की आग ही यह जोखिम भरा काम करने पर मजबूर कर रही है.
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