(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Corona Vaccine : रिसर्च में दावा, फाइजर के मुकाबले एस्ट्राजेनेका में 30 प्रतिशत ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग का खतरा
AstraZeneca: जॉन्सन एंड जॉन्सन और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद कुछ जगहों पर ब्लड क्लॉट के मामले सामने आए थे, जिसके बाद लगातार रिसर्च जारी है.
Study On AstraZeneca: एक बड़ी इंटरनेशनल स्टडी में दावा किया गया है कि फाइजर जैब की तुलना में एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की कोविड वैक्सीन से 30 फीसदी से ज्यादा ब्लड कलॉटिंग के मामले सामने आए हैं. कई देशों ने पिछली रिसर्च में संकेत मिलने के बाद ही इसे लेकर आगाह किया था. बताया गया था कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ थ्रोम्बोसिस कोविड वैक्सीन का एक साइड इफेक्ट हो सकता है.
बता दें कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया ब्लड प्लेटलेट्स के निम्न स्तर के साथ संभावित रूप से जानलेवा रक्त के थक्के पैदा करता है. इस रिसर्च टीम ने फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका में एक करोड़ से ज्यादा वयस्कों के स्वास्थ्य डेटा पर रिसर्च की गई, जिन्होंने दिसंबर 2020 और मध्य 2021 के बीच वैक्सीन लगवाई थी. जर्मनी और यूके से 13 लाख लोगों का डेटा लिया गया, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की पहली डोज ली थी. इसमें 21 लाख वे थे, जिन्होंने फाइजर की वैक्सीन लगवाई थी.
फाइजर की तुलना में एस्ट्राजेनेका ज्यादा
स्टडी में बताया गया है कि एस्ट्राजेनेका की पहली डोज लेने के बाद 28 दिनों में कुल 862 युवाओं में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पाया गया. वहीं, फाइजर की डोज लेने वाले 520 लोगों में यह देखा गया. इसका मतलब है कि एस्ट्राजेनेका के टीके में फाइजर की तुलना में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का 30 प्रतिशत ज्यादा जोखिम था. हालांकि, इस स्टडी में वजह और प्रभाव को लेकर जानकारी नहीं मिली है.
पहले भी हो चुकी है रिसर्च
दरअसल, जॉन्सन एंड जॉन्सन और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद कुछ जगहों पर ब्लड क्लॉट के मामले सामने आए थे. ऐसे में अब इस रिसर्च में पाया गया है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने पर ब्लड क्लॉट का खतरा ज्यादा है. इससे पहले ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च से सामने आया था कि एस्ट्राजेनेका या फाइजर की वैक्सीन की पहली डोज की तुलना में कोरोना वायरस के संक्रमण से ब्लड क्लॉट होने का ज्यादा खतरा है.
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