दिल्ली में एसिंप्टोमेटिक मरीजों की भी होगी कोरोना जांच, LG ने निरस्त किया केजरीवाल सरकार का फैसला
दिल्ली सरकार का फैसला रद्द करते हुए एलजी अनिल बैजल ने दलील दी कि आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के तहत सभी का टेस्ट जरूरी है जिसेस बीमारी का पता लग सके.
नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार के उस आदेश को पलट दिया है जिसमें सरकार ने कहा था कि दिल्ली में एसिंप्टोमेटिक या हल्के लक्षण वाले मरीजों का कोरोना का टेस्ट नहीं होगा. उपराज्यपाल ने कहा कि आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के तहत सभी का टेस्ट जरूरी है जिससे कि बीमारी का पता लग सके, लिहाजा दिल्ली सरकार के उस आदेश को निरस्त किया जा रहा है.
सरकार के इस आदेश को एलजी ने किया निरस्त दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के 2 जून को जारी किए गए उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में एसिंप्टोमेटिक मरीजों की जांच नहीं होगी. किसी भी मरीज़ की जांच तब ही होगी जब मरीज में कोरोना के कुछ लक्षण नजर आएंगे.
केजरीवाल सरकार का आदेश आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के खिलाफ- एलजी उपराज्यपाल ने डीडीएमए में यानी दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन होने के नाते जो आदेश जारी किया है उसमें साफ तौर पर कहा है कि उनके पास ये अधिकार है कि वह चेयरमैन होने के नाते कानून और संविधान के हिसाब से फैसले ले सकें. इसी अधिकार के तहत यह फैसला लिया गया और दिल्ली सरकार का आदेश निरस्त किया जा रहा है.
आदेश में कहा गया है कि केजरीवाल सरकार का 2 जून का आदेश आईसीएमआर के 18 मई के दिशानिर्देशों के खिलाफ है. उन निर्देशों में आईसीएमआर ने कहा था कf एसिंप्टोमेटिक और हल्के लक्षण वाले लोगों का भी टेस्ट होना जरूरी है. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो 5 दिन और 10 दिन बाद होने वाले टेस्ट से पता चलता है कि वह कोरोना संक्रमित है या नहीं. इतना ही नहीं अगर टेस्ट नहीं होंगे तो इससे तो करोना संक्रमण और ज्यादा फैलेगा. इसीलिए जरूरी है कि आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का पालन हो और संदिग्ध लोगों का टेस्ट हो. लिहाज़ा दिल्ली सरकार का 2 जून का आदेश आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के खिलाफ है और उसी आधार पर उसको निरस्त किया जा रहा है.
कोरोना जांच ना करवाने के फैसले पर उठ रहे थे सवाल दिल्ली सरकार के 2 जून के आदेश पर भी शुरू से ही सवाल खड़े होने शुरू हो गए थे. कहा यह जा रहा था कि दिल्ली सरकार ने एसिंप्टोमेटिक या कम लक्षण वाले लोगों के टेस्ट करने से इस वजह से मना किया जिससे कि दिल्ली में कोरोना संख्या में मरीजों की संख्या जो लगातार बढ़ती जा रही है उसमें कमी दिखाई जा सके.
दिल्ली के अस्पतालों में होगा बाहर के मरीजों का इलाज, LG ने केजरीवाल सरकार के फैसले को किया निरस्त