जयंती विशेष: प्रखर वक्ता, राजनेता और ओजस्वी कवि अटल बिहारी वाजपेयी, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी
आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को गुलाम भारत के ग्वालियर स्टेट में हुआ था. साल 1996 में वे पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे. इस पद पर वे तीन बार बैठे. 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया.
नई दिल्ली: आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है. साल 1924 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था. वे न सिर्फ एक आजस्वी थे बल्कि एक कवि भी थे. अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म 25 दिसबंर, 1924 को गुलाम भारत के ग्वालियर स्टेट में हुआ, जो आज के मध्यप्रदेश का हिस्सा है. दिलचस्प बात ये है कि अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म ठीक उसी दिन हुआ, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के पहली और आखिरी बार अध्यक्ष बने. 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
पीएम मोदी आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर लखनऊ में उनकी 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे. पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती पर तीन दिवसीय समारोह भी आयोजित किया जा रहा है. यह समारोह 23 दिसंबर को शुरु हुआ था. प्रधानमंत्री मोदी समारोह के अंतिम दिन आज लखनऊ पहुंचेंगे और लोकभवन में अटल की प्रतिमा के अनावरण के साथ अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय का भी शिलान्यास करेंगे.
एक कवि पत्रकार, संघ के कार्यकर्ता के तौर पर लगातार विजय पथ पर बढ़ रहे वाजपेयी पहली बार 1957 के लोकसभा चुनाव में जीतकर संसद पहुंचे. वे 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात से सांसद रहे. उन्होंने साल 1991 से अपने आखिरी चुनाव तक यानि 2004 तक लखनऊ लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया.
अटल बिहारी वाजपेयी देश में एक अच्छे कवि के रूप में जाने जाते हैं. एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह एक राजनेता के रूप में नहीं बल्कि एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. वाजयेपी ऐसे अकेले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहें जिन्होंने पूरा 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया. साल 1996 चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. राष्ट्रपति ने सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का न्योता दिया.
पहली बार साल 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने और फिर साल 1998 से 1999 तक यानि 13 महीने के लिए दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. फिर आखिरी और तीसरी बार साल 1999 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहें. उन्होंने साल 2009 में राजनीति से संन्यास लिया. वहीं 25 दिसंबर, 2014 को वाजपेयी को उनके जन्मदिन पर देश का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न देने का ऐलान किया गया.
अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर कविता
गीत नया गाता हूं टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कूक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी? अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं गीत नया गाता हूं.