नई दिल्ली: मशहूर हिंदी कवि अशोक चक्रधर ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन को साहित्य जगत के लिये अपार क्षति बताया है. चक्रधर ने वाजपेयी के साथ अपने तीन दशक के सानिध्य को याद करते हुये कहा ‘‘अटल जी मूलत: कवि थे. जो कवि होता है वह जड़ता को समाप्त कर देता है. इसीलिए वो जीवंत थे, इसीलिये सभी के लिये वह स्वीकार्य थे और उनके लिये सभी स्वीकार्य थे.’’
चक्रधर ने कहा कि वह राष्ट्रवादी होने के नाते दृढ़ संकल्पी जरूर थे लेकिन उनके स्वभाव में काव्यबोध था इसलिये वह व्यवहार में सरल और कोमल थे. उन्होंने वाजपेयी की अद्भुद शैली का मुरीद बताते हुये कहा कि वह कटाक्ष भी अपने चुटीले अंदाज से करने की कला में माहिर थे.
उन्होंने बताया ‘‘तीन दशक के जुड़ाव में मैंने वाजपेयी जी के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने की भी कोशिश की. शायद इसी का नतीजा था कि वाजपेयी जी के काव्य पाठ वाले तमाम कवि सम्मेलनों के संचालन करने का मुझे सौभाग्य मिला.’’ इनमें वाजपेयी जी के जन्मदिन पर हर साल आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन खासतौर पर याद किये जाएंगे.