नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे. वाजपेयी के निधन के बाद उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की लाइन लगी हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नम आंखों से आज विदाई दी जा रही है. उनका शाम चार बजे के करीब यमुना किनारे राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. इस मौके पर हजारों की भीड़ के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई दिग्गज मौजूद रहेंगे. इसके लिए तैयारी जारी है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं.


साल 2001 के संसद हमले के दिन क्या हुआ था?


13 दिसंबर 2001 भारतीय इतिहास का वो काला दिन है जहां आतंकियों ने संसद पर हमले की पूरी योजना बनाई थी लेकिन सफल नहीं हो पाए थे. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद की कार्यवाही को 40 मिनट के लिए रोक दिया गया था. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी लोकसभा से निकलकर अपने सरकारी आवास की तरफ निकल चुके थे. इस बीच लाल कृष्ण आडवाणी ही मंत्रियों और करीब 200 सांसदों के साथ लोकसभा के भीतर थे.



आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे. सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था.


लेकिन इस बीच कुछ ऐसा हुआ था जिसे आज यानी की देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर याद किया जा रहा है. इन किस्सों का खुलासा हिंदुस्तान टाइम्स के पॉलिटिकल एडिटर विनोद शर्मा ने किया. विनोद बताते हैं कि साल 1999 में चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए को समर्थन देने का मन बना लिया था जिसके बाद एक इंटरव्यू में नायडू उनसे कहते हैं कि विनोद जी आप अचरज में होंगे कि मैंने ऐसा कदम क्यों उठाया और एनडीए से हाथ क्यों मिलाया? विनोद शर्मा कहते हैं कि नायडू ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि कलयाण सिंह की सरकार को जब रोमेश भंडारी ने गिरा दिया था तो अटल जी भूख हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद जगदम्बिका पाल को एक दिन के लिए यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इस हादसे के बाद आंध्र प्रदेश के कई लोग घरों के बाहर निकल आए और ये मांग करने लगे कि अटल बिहारी वाजपेयी को देश का प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए. विनोद शर्मा कहते हैं कि इस बात से आप समझ सकते हैं कि उस दौरान लोगों पर अटल जी का कितना बड़ा प्रभाव था.



जब सोनिया गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी को किया था फोन


विनोद शर्मा बताते हैं कि साल 2001 के संसद हमले के दौरान जब सोनिया गांधी अपने आवास पर पहुंच चुकी थी. तब उन्हें संसद हमले का पता चला जिसके बाद तुरंत सोनिया ने सबसे पहला फोन अटल बिहारी वाजपेयी को किया और उनसे पूछा कि वो सुरक्षित तो हैं न. जिसके जवाब में अटल जी ने कहा कि मेरा छोड़िए, आप बताएं कि आप ठीक हैं या नहीं. विनोद शर्मा ने आगे कहा कि, अटल बिहारी वाजपेयी लगातार विपक्ष में रहे. सत्ता से टकराते रहे. मुद्दे उठाते रहे. सरकार की नीतियों से मतभेद रखते रहे. एक बार जब उन्‍हें पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की बात सही नहीं लगी और उन्‍हें सदन में बोलने का मौका मिला तब उन्‍होंने अपनी नाराजगी को वहां मौजूद सभी नेताओं के बीच में रखा. अटल ने पंडित नेहरू से यहां तक कहा था कि उनके अंदर चर्चिल भी है और चैं‍बरलिन भी है. लेकिन नेहरू इस पर नाराज नहीं हुए. उसी दिन शाम को किसी बैंक्वट में दोनों की फिर मुलाकात हुई तो नेहरू ने अटल की तारीफ की और कहा कि आज का भाषण बड़ा जबरदस्त रहा. उनका कहना था कि वह राजनीति का एक ऐसा दौर था जहां सभी एक दूसरे का सम्‍मान करते थे और नेताओं की बातों को गंभीरता से लेते थे.