नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को चुनाव होने हैं. राज्य में सियासी सरगर्मियां लगातार तेज़ होती जा रही हैं और किसी भी दल के लिए चुनाव का समय ऐसा होता है जब खर्चे भी कई गुना बढ़ जाते हैं. पार्टी का प्रचार प्रसार में अच्छी खासी रकम खर्च होती है. और किसी भी दल का मुकाबला अगर बीजेपी जैसी संसाधनों से लैस पार्टी से हो, तो मुश्किल बढ़ जाती है. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस वित्तीय संकट से जूझ रही थी. हिमाचल कांग्रेस ने कैसे इस समस्या से कैसे पाई, आइए आपको बताते हैं.
कुछ समय पहले तक सिर कांग्रेस वित्तीय संकट से जूझ रही है. दरअसल कांग्रेस के शिमला में राज्य कार्यालय राजीव भवन निगम की ज़मीन पर बना है.कार्यालय के ऊपर निगम का 4 साल से 20 लाख का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया था. हिमाचल कांग्रेस के महासचिव हरभजन सिंह 'भज्जी' ने बताया कि प्रॉपर्टी टैक्स के अलावा एक लाख रुपए सलाना के हिसाब दो लाख रुपये लीज़ के भी बकाया थे. इस तरह 22 से 25 लाख रुपए पार्टी के ऊपर कर्ज़ था.
पार्टी ने इस कर्ज़े से उबरने के लिए बहुत माकूल तरीका निकाला. चुनाव का समय है और ऐसे माहौल पार्टी से चुनावी टिकट की चाह रखने वाले बड़ी संख्या में होते हैं. पार्टी ने एक तरीका खोजा और वो ये कि जो टिकट के लिए आवेदन करेंगे उनसे शुल्क लिया जाएगा. कांग्रेस पार्टी ने राज्य में सभी 68 सीटों के लिए आवेदन मंगवाए. पार्टी ने SC, ST के लिए रिज़र्व सीटों पर आवेदन शुल्क 15 हज़ार रुपए और सामान्य सीटों के लिए 25 हज़ार रुपए रखा. आवेदन की आखिरी तारीख 10 अक्टूबर तक पार्टी के पास लगभग 400 आवेदन आए. इस तरह पार्टी ने एक दिन झटके में 75 लाख रुपए का फंड इकट्ठा कर लिया. इस तरह कांग्रेस पार्टी ने अपना 22 लाख रुपए का कर्ज़ भी उतार दिया और चुनावी माहौल में पैसा भी इकट्ठा कर लिया.
राजीव भवन शिमला के लिफ्ट इलाके में हैं. यही से ही पार्टी की सारी गतिविधियां चल रही हैं. 400 लोगों में से पार्टी को सिर्फ 68 लोगों को ही टिकिट बांटने है.
राज्य में आचार संहिता लग चुकी है. 16 से 23 अक्टूबर तक उम्मीदवार नामांकन दाखिल करेंगे. देखना होगा कि इन 400 मे से वो 68 खुशकिस्मत कौन होंगे जो जिन्हें पार्टी अपना उम्मीदवार बनाती है.