Atiq Ahmad Killed: माफिया अतीक अहमद की 15 अप्रैल की रात को हत्या कर दी गई. जुर्म की दुनिया में रहते हुए अतीक ने अकूत संपत्ति बनाई थी, जिसको वो अपने बड़े नेटवर्क के जरिए हासिल करता था. जमीन से लेकर ठेका और अवैध खनन, अपहरण और हत्या का संगीन आरोपी रहे अतीक अहमद की मौत के बाद उसकी कई दबी हुई कहानियां सामने आ रही हैं. इन्हीं कहानियों में से एक दिलचस्प वाकया कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से जुड़ा हुआ है.
दरअसल, अतीक अहमद की कब्जाई हुई जमीन छुड़ाने के लिए एक बार सोनिया गांधी को पहल करनी पड़ी थी. रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर और प्रयागराज के आईजी रहे लालजी शुक्ला ने एक इंटरव्यू में बताया कि प्रयागराज के पैलेस टॉकिज के पीछे करोड़ों की जमीन थी जिस पर अतीक ने जबरदस्ती कब्जा कर लिया था. इस मामले में तत्कालीन यूपीए चीफ सोनिया गांधी ने हस्तक्षेप किया और रीता बहुगुणा जोशी भी इस केस को सुलझाने के लिए बीच में आईं तब जाकर जमीन मूल मालिक को वापस हुई.
तब पुलिस ने अतीक पर कार्रवाई करनी शुरू की
इंटरव्यू में एक के बाद एक अतीक की काली कमाई का खुलासा करते हुए पूर्व आईजी लालजी शुक्ला ने बताया कि अतीक ने 1999 में प्रयागराज के सिविल लाइंस में स्थित रॉयल होटल को कब्जाने की कोशिश की और उसमें मुकदमा दर्ज किया गया था. ऐसे ही अतीक ने शाहगंज थाने के पास बंगाल होटल्स पर जबरन कब्जा कर लिया था. इसके बाद पुलिस ने अतीक पर कार्रवाई करनी शुरू की.
हाई कोर्ट के पास कब्जा
पूर्व आईजी लालजी ने बताया, 'हाई कोर्ट के पास आहुजा मोटर वर्कशॉप थी अतीक ने उस पर भी जबरन कब्जा कर लिया था. उसने बमरौली में चड्ढा लॉन को धोखाधड़ी करके अपने नाम करवा लिया था, जिस पर बाद में मुकदमा किया गया. हालांकि बाद में चड्ढा लॉन को रिस्टोर करवा लिया गया.'
सोनिया गांधी का हस्तक्षेप
लालजी शुक्ला ने बताया कि अतीक ने 2005-06 में समाजवादी पार्टी की सरकार में पैलेस टॉकिज के पीछे करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर लिया था. जब राज्य सरकार से कार्रवाई नहीं हुई तो जमीन के मालिक ने केंद्र सरकार से शिकायत की और सोनिया गांधी ने हस्तक्षेप किया और रीता बहुगुणा बीच में आईं तब जाकर जमीन वापस हुई.
आईपीएस लालजी ने आगे बताया कि अतीक अहमद जमीन पर जमीन बनाता चला गया. उन्होंने कहा, 'मैं इसके बारे में स्पष्ट तौर पर नहीं बता सकता लेकिन अतीक ने गाजियाबाद में एक फैक्ट्री पर कब्जा कर लिया था, उस फैक्ट्री को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी तब जाकर उस फैक्ट्री मालिक को राहत मिली थी. वह फैक्ट्री एक हजार करोड़ रुपये की थी.' उन्होंने कहा कि अतीक अहमद ने रेलवे के एक लोहे के पुल को कबाड़ में देने का ठेका प्राप्त कर लिया था.