Atiq Ahmed Profile: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार (15 अप्रैल) को गोली मारकर हत्या कर दी गई. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मेडिकल टेस्ट के लिए जब दोनों को ले जाया जा रहा था, तब उन पर हमला हुआ. कथित तौर पर कुछ बाइक सवार लोगों ने अतीक और अशरफ पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसके चलते दोनों की मौत हो गई. इस वारदात के बाद पुलिस की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. 


बता दें कि प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के पास पुलिस और मीडिया के रहते हुए हमलावरों ने इस वारदात को अंजाम दिया. एक हमलावर दबोचा गया है. जानकारी के मुताबिक, एक पुलिस कांस्टेबल मान सिंह भी घायल हुआ है, जिसे अस्पताल ले जाया गया है.


इससे पहले गुरुवार (13 अप्रैल) को उत्तर प्रदेश के झांसी में अतीक के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम को पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था. एनकाउंटर यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी नवेंदु और डिप्टी एसपी विमल के नेतृत्व में किया गया था. असद और गुलाम 24 फरवरी को हुए उमेश पाल मर्डर केस के आरोपी थे. असद के सिर पांच लाख रुपये का इनाम था. 


उमेश पाल हत्याकांड की साजिश रचने का था आरोप


उमेश पाल हत्याकांड के पीछे माफिया अतीक अहमद का हाथ बताया जा रहा था. अतीक अहमद पर हत्या की साजिश रचने का आरोप था. 24 फरवरी को उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उमेश पाल प्रयागराज में हुए राजू पाल मर्डर केस के गवाह थे.


गुरुवार (13 अप्रैल) को अदालत ने उमेश पाल हत्याकांड मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था. बेटे असद के जनाजे में शामिल होने के लिए शुक्रवार को अतीक ने वकील के जरिये मजिस्ट्रेट को एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर शनिवार को अदालत में फैसला लिया जाना था, लेकिन अदालती कार्यवाही से पहले ही शव दफनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई. असद का शव प्रयागराज के कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफनाया दिया गया. वहीं, उसके साथी गुलाम का शव शिवकुटी के कब्रिस्तान में दफनाया गया. इसी दिन अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या कर दी गई. आइये जानते हैं अतीक अहमद के बारे में सबकुछ.


अतीक और उसके परिवारवालों का इतने केस में आया नाम


माफिया और नेता रहे अतीक अहमद पर 101 आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. वहीं उसके भाई अशरफ अहमद पर 52 के दर्ज थे. अतीक के पत्नी शाइस्ता परवीन पर भी 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं. एनकाउंटर मारे गए बेटे असद अहमद पर एक केस था. अतीक के दो और बेटों अली अहमद और उमर अहमद पर क्रमश: 6 और 2 केस दर्ज हैं. 


अतीक अहमद के बच्चे


अतीक अहमद के कुल पांच बेटे हैं, जिनमें से असद की एनकाउंटर में मौत हो चुकी है. उमर सबसे बड़ा और अली दूसरे नंबर का बेटा है. असद तीसरा बेटा था. दो और बेटों आजम और अबान को उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने बाल सुधार गृह भेज दिया था. आजम कक्षा 10 में पढ़ रहा है, जबकि अबान कक्षा 8 का छात्र है.


अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन


24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले माफिया अतीक के अलावा उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन पर भी मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसके बाद से ही वह फरार चल रही थी.
शाइस्ता परवीन के सिर इनाम की राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई थी. पहले पुलिस ने उसके खिलाफ 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. तमाम दबिश के बावजूद गिरफ्तारी न होने पर पुलिस ने उस पर इनाम की राशि 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दी थी. 


यहां से शुरू हुई अतीक की कहानी


प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में अतीक के पिता फिरोज चकिया गांव में रहते थे और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाकर गुजर-बसर करते थे. उस समय 17 वर्षीय अतीक का सपना बहुत बड़ा आदमी बनने का था. बड़ा आदमी बनने की चाह में उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया. वह साल 1979 था जब अतीक हाई स्कूल में फेल हो गया था और उसी वर्ष उसके खिलाफ हत्या का एक मामला दर्ज हो गया था. हत्या के मामले के चलते अतीक इलाके में कुख्यात हो गया और वह रंगदारी में लिप्त हो गया. उस वक्त इलाहाबाद के पुराने इलाके में शौक इलाही उर्फ चांद बाबा की दहशत होती थी. अतीक ने छह-सात वर्षों में अपने कारनामों से चकिया इलाके से चांद बाबा की दहशत को खत्म कर दी और अपना सिक्का जमा लिया.


जब एनकाउंटर से बचा अतीक अहमद


अब पुलिस के सामने चांद बाबा से भी बड़ी चुनौती अतीक अहमद था. 1986 में एक बार पुलिस अतीक पकड़कर ले गई थी. अतीक को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई. चकिया के लोगों ने मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक कांग्रेस सांसद को फोन किया, वह राजीव गांधी के करीबी माने जाते थे. इसके बाद दिल्ली से लखनऊ और फिर इलाहाबाद फोन की घंटी बजी. पुलिस ने अतीक को छोड़ दिया. 


अतीक पर पुलिस का शिकंजा कसता गया. उस पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत भी मामला दर्ज हुआ. अतीक ने उस पर लगे मुकदमों के जरिए सहानुभूति जुटाने की कोशिश की. उसने खुद को प्रशासन की ओर से प्रताड़ित दिखाना शुरू कर दिया. बताया जाता है कि इस वजह से उसी कांग्रेसी सांसद ने एक बार फिर अतीक की मदद की और वह पुलिस के एनकाउंटर से बच गया. 


जब पहली बार चुनाव जीता अतीक


1989 में विधानसभा चुनाव में अतीक अहमद ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. उस चुनाव में चांद बाबा अतीक के प्रतिद्वंद्वी था. चांद बाबा अतीक ने हरा दिया. अतीक अहमद को 25,906 वोटों मिले थे जबकि चांद बाबा को महज 9,281 वोट हासिल हुए थे. कुछ दिनों बाद चांद बाबा की हत्या हो गई. इसके बाद धीरे-धीरे चांद बाबा का पूरा गिरोह खत्म हो गया.


लगातार पांच बार विधायक बना अतीक अहमद


इसके बाद अतीक ने 1991 और 1993 के विधानसभा चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता. 1996 वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार चौथी बार इलाहाबाद पश्चिमी से चुनाव जीता. 1999 वह अपना दल का प्रदेश अध्यक्ष भी बना. 2002 के विधानसभा चुनाव में वह फिर इलाहाबाद पश्चिम से जीत गया. वह लगातार पांचवीं बार विधायक बना था. 


जब पहली बार सांसद बना अतीक


2003 में  मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने तो अतीक की समाजवादी पार्टी में वापसी हो गई. 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे फूलपुर लोकसभा सीट से टिकट मिला. चुनाव जीतकर वह विधायक से सांसद बन गया. 


राजू पाल की हत्या में आया नाम


अतीक के सांसद बनने पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट खाली हो गई थी. उसने इस सीट से अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा का उम्मीदवार बनाया. अशरफ के खिलाफ बीएसपी ने राजू पाल को प्रत्याशी बनाया. वहीं बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य उम्मीदवार बनाया था. चुनाव में जीत राजू पाल की हुई. तीन महीने में राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. राजू पाल को 19 गोलियां लगी थीं. राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हत्या का आरोप अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर लगाया. दोनों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ. वहीं, उपचुनाव में बीएसपी के टिकट पर अशरफ के सामने पूजा पाल हार गईं.


मायावती के कार्यकाल में अतीक के खिलाफ हुआ एक्शन 


2007 में यूपी में बीएसपी की सरकार बनी. मायवती मुख्यमंत्री थीं. वहीं, इलाहाबाद पश्चिम से बसपा के टिकट पर राजू पाल की पत्नी विधायक बन गईं. मायावती ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया. पुलिस ने अतीक के गिरोह को 'इंटर स्टेट 227' नाम दिया था. अतीक पर 20 हजार का इनाम था. गैंगस्टर एक्ट में उस पर 10 से ज्यादा केस थे. उसकी गैंग में सौ से ज्यादा गुर्गे थे. पुलिस ने एक्शन लिया और अतीक की करोड़ों की संपत्ति सीज की गई. अवैध कब्जे के खिलाफ भी कार्रवाई हुई. अतीक के सिर इनाम था, इसलिए वो फरार हो गया था. सपा ने अतीक से किनारा कर लिया. कुछ दिनों बाद दिल्ली पुलिस ने अतीक गिरफ्तार कर लिया है. इसके बाद यूपी पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया. 


पूजा पाल से चुनाव हारा


2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अतीक अहमद एक बाप फिर इलाहाबाद पश्चिम से अपना दल के प्रत्याशी के तौर पर लड़ा. उसके सामने प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पूजा पाल थीं. प्रचार करने के लिए अतीक ने जेल से बाहर आने के लिए जमानत अर्जी दाखिल की. हाई कोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. 11वें जज ने अतीक को जमानत दे दी, लेकिव वो चुनाव अतीक हार गया.


छह साल से जेल में था अतीक


2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने एक बार फिर अतीक को मौका दिया और सुल्तानपुर से उसे प्रत्याशी बना दिया. पार्टी के भीतर विरोध हुआ तो अतीक को सुल्तानपुर की जगह श्रावस्ती से उतारा गया. उस दौरान अतीक ने एक मंच से कहा कि उसके 188 केस दर्ज हैं, आधा जीवन जेल में बिताया है, लेकिन इसका अफसोस नहीं है. अतीक चुनाव हार गया. 2016 में सपा ने तय किया कि अगले साल के विधानसभा चुनाव में अतीक को कानपुर कैंट से लड़ाया जाएगा, लेकिन अखिलेश यादव ने उसे पार्टी से बाहर कर दिया. पुलिस ने फरवरी 2017 में अतीक को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद से अतीक अहमद जेल से बाहर नहीं आ पाया था. 


पीएम मोदी के खिलाफ भी लड़ा था चुनाव


2017 में बीजेपी की सरकार बनने पर फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री बनाया गया तो सीट रिक्त हो गई. उपचुनाव हुए तो अतीक ने जेल से ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर दिया लेकिन हार गया. वहीं, देवरिया जेल में बंद अतीक पर एक कारोबारी को अगवा कराने और पिटाई कराने का आरोप लगा. घटना का वीडियो भी वायरल हुआ. इसके चलते अतीक की जेल बदली गई. उसे देवरिया से बरेली भेजने का फैसला हुआ. बरेली जेल ने उसे रखने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसे नैनी जेल भेजा गया. फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक को गुजरात की साबरमती जेल भेजा गया. अतीक 2019 के लोकसभा चुनाव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे महज 855 वोट मिले और जमानत भी नहीं बची थी. 


उमेश पाल अपहरण मामले में मिली थी उम्रकैद


पिछले महीने 26 मार्च को अतीक को साबरमती जेल से निकाला गया और उसे सड़क मार्ग से प्रयागराज लाया गया. 2006 में हुए उमेश पाल के अपहरण के मामले अतीक को दोषी ठहराया गया था. इसी मामले में उसकी कोर्ट में पेशी होनी थी. 28 मार्च को एमपी/एमएलए कोर्ट ने मामले में अतीक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इससे पहले किसी भी मुकदमे में अतीक को सजा नहीं हो सकी थी.


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