Atiq Ahmed Shot Dead: गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद अपराध की दुनिया का एक चैप्टर बंद हो गया. अतीक अहमद ने 44 साल तक प्रयागराज और उसके आस-पास राज किया. अतीक अहमद के ऊपर 100 से ज्यादा मुकदमे थे, जिसमें हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे गंभीर अपराध शामिल रहे. उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक रहे विभूति नारायण राय ने अतीक के दौर को करीब से देखा है. विभूति नारायण राय ने एबीपी न्यूज से अतीक के उस दौर के बारे में बात की है.
पूर्व आईपीएस अफसर ने बताया कि अतीक अहमद का अध्ययन एक दिलचस्प मामला हो सकता है. अतीक का किस्सा ये बताता है कि अगर राजनीतिक संरक्षण मिले तो कोई अपराधी किस सीमा तक जा सकता है. वो अपना इस कद तक बढ़ा सकता है कि भारतीय राज्य और इसके सारे इंस्टीट्यूशन उसके सामने बौने नजर आते हैं.
राजनीति का दुर्भाग्यपूर्ण चैप्टर
विभूति नारायण राय प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के एसएसपी रहे थे. उस दौर में उन्हें अतीक को देखने का मौका मिला था. वो अतीक अहमद को भारतीय राजनीति और समाज को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण चैप्टर मानते हैं.
राय कहते हैं कि अतीक पर एक्शन भी होता था लेकिन वो ऐसा खेल था जिसका सिर-पैर समझ नहीं आता था. अतीक अहमद के चकिया ऑफिस के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, मायावती की सरकार आती थी तो वो ऑफिस गिरा दिया जाता था और मुलायम या फिर अखिलेश की सरकार में फिर बन जाता था.
राय कहते हैं कि अतीक को आतंक पर्याय बनाने में राजनीतिक संरक्षण का सबसे अहम योगदान रहा. दिलचस्प बात ये है कि बहुत साल वह जेल में रहा और जेल से भी उसका साम्राज्य उसी तरह चलता रहा. जेल से भी उसके ऊपर कोई नियंत्रण नहीं था.
पुलिस वालों ने भी की मदद
पुलिस वालों के मदद करने पर पूर्व डीजीपी ने कहा कि हर कोई उसकी मदद करता था. उन्होंने कहा कि पुलिस वालों को लगता था कि अतीक का विरोध करने पर उन्हें डर होता था कि वह उनकी पोस्टिंग मुश्किल जगहों पर करा सकता है. ऐसे में वे भी उसकी मदद किया करते थे.
मुसलमान न होता तो बीजेपी का भी बाहुबली होता
विभूति नारायण राय एक दिलचस्प बात कहते हैं कि अगर अतीक मुसलमान न होता तो वह बीजेपी का भी बाहुबली हो सकता था. उन्होंने कहा कि बीजेपी को बाहुबलियों से कोई बहुत परहेज नहीं है. बहुत सारे बाहुबली हैं जो कुछ खास जातियों के हैं और वे बीजेपी के जमाने में भी बढ़ रहे हैं लेकिन अतीक मुसलमान था और इसलिए वह बीजेपी के पास नहीं जा पाया.
अतीक की हनक कैसे बनी
प्रयागराज के इलाके में एक शब्द बड़ा प्रचलित हुआ करता है- हनक. यह शब्द किसी के रसूख को बताने के लिए किया जाता है. राय कहते हैं कि अतीक की हनक सबसे पहले तब कायम हुआ जब चांद बाबा नाम के एक पार्षद की हत्या हुई. अतीक ने उसे बड़ी बर्बरता से मारा.
इसके बाद जिस तरह से राजू पाल की हत्या हुई उसने भी इनके आतंक को बढ़ाने में मदद की. अतीक और उसके गैंग का हत्या करने का तरीका बहुत क्रूर था. ताजा घटना उमेश पाल की हत्या थी. अतीक का बेटा इसमें खुद को लॉन्च कर रहा था. उमेश पाल को दौड़ा-दौड़ा कर बम और गोलियों से मारा गया. जिस पैटर्न से अतीक का गैंग क्रूरता करता था, उससे उसका कद अपराध की दुनिया में बढ़ता ही गया.
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