'पीलीभीत की बिरयानी' के चक्कर में अभी यूपी पुलिस के कितने अधिकारियों पर गिरेगी गाज?
उमेश पाल मर्डर मामले में अतीक का भाई अशरफ जेल में बंद है, लेकिन अशरफ जेल में अपनी हकूमत चला रहा था. अब इसे लेकर बड़ा कदम उठाया जा चुका है.
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक के भाई अशरफ को मदद पहुंचाने को लेकर नैनी जेल के वरिष्ठ जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इससे पहले बांदा जेल के अधीक्षक अविनाश गौतम और बरेली सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला को भी निलंबित किया जा चुका है. इन तीनों निलंबित जेल अधीक्षक पर लापरवाही बरतने का आरोप है. बरेली जेल मामले में इससे पहले 5 अधिकारी सस्पेंड किए गए थे.
उमेश पाल अपहरण मामले में जेल में बंद अतीक के भाई अशरफ ने जेल को ही होटल बना लिया था. अशरफ अपनी पसंद का खाना मंगाने से लेकर अपनी पसंद का खाना पकवाया करता था. जेलों के आला पुलिस अधिकारी अशरफ को मना करने के बजाए मदद पहुंचा रहे थे. अब इसी मदद को लेकर इन सभी आला अधिकारियों पार गाज गिरी है.
नैनी के जेल अफसर पर कार्रवाई को माफिया अतीक के गुर्गों पर सख्ती न बरतने और उमेश पाल अपहरण और हत्या कांड में सजा सुनाए जाने के बाद अतीक को जेल में एंट्री न देने से जोड़कर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट्स ये भी दावा करती हैं कि उमेश पाल हत्या की पूरी प्लानिंग बरेली सेंट्रल जेल में हुई. अतीक के भाई अशरफ से जेल में गैंंग की मुलाकात कराने के आरोपों में बरेली सेंट्रल जेल के जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला को जिम्मेदार ठहराया गया है. वहीं डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप समेत 5 अधिकारी को पहले ही निलंबित किया गया है.
जेल में अतीक अहमद का भाई अशरफ वॉट्सऐप कॉल के जरिए पूरा मर्डर ऑपरेशन डील करता रहा. जेल में सिपाही से लेकर आला अधिकारी तक अशरफ को मदद पहुंचाते रहे. बिना आईडी पर अशरफ से गुर्गे जेल के VIP स्पेस में मिलते रहे.
अशरफ ने जेल को बनाया हुआ था होटल
अतीक के भाई अशरफ अहमद को पीलीभीत के रहने वाले आरिफ की दुकान की चिकन बिरयानी पसंद थी. समय-समय पर वो बिरयानी की मांग करता था. जेल में ही उसे आरिफ की चिकन बिरयानी पहुंचाई जाती थी. जेल की कैंटीन में अशरफ की पंसद का चिकन, मटन, अंडा करी बनाई जाती थी.
कई बार जेल में अशरफ की डिमांड पर बिरयानी के अलावा खाने-पीने के अलावा दूसरी चीजें भी पहुंचाई गयी. इतना ही नहीं बिरयानी वाले आरिफ की आईडी से अशरफ से कई लोग जेल में मुलाकात करने आते थे. आरिफ को इस बात की अच्छे से जानकारी थी. अशरफ को गैर कानूनी तरीके से मदद पहुंचाने के जुर्म में बिरयानी वाले आरिफ की भी गिरफ्तारी की गई है.
जेल में अशरफ की पालतू बिल्ली का भी रखा जाता था खास ख्याल
पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ के लिए जेल सिर्फ होटल भर नहीं था, जेल में उसकी सारी डिमांड पूरी की जाती थी. अशरफ की पालतू बिल्ली जेल में उसके साथ ही रह रही थी. उसकी बिल्ली का खास ख्याल रखा जाता था.
जेल अधीक्षक से लेकर निचले कर्मचारियों तक अशरफ की हर बात मानते थे. कुछ निचले स्तर के कर्मचारी न चाहते हुए भी जेल अधीक्षक राजीव शुक्ला की हर बात मानने को मजबूर थे और उन्हें मजबूरन अशरफ की खातिरदारी करनी पड़ रही थी.
एक नजर निलंबित हुए पुलिस अधिकारियों पर
जेल में अतीक के भाई अशरफ को मदद पहुंचाने को लेकर बरेली पुलिस ने जेल के सिपाही मनोज कुमार गौड़, शिव हरि समेत 11 को अरेस्ट किया गया था. आरोप है कि वह बिना आईडी अशरफ से अतीक गैंग के लोगों की मुलाकात करवाता था. 11 फरवरी को अशरफ ने बरेली जेल में शूटर से मुलाकात भी की थी.
नैनी के वरिष्ठ जेल अधीक्षक निलंबित
28 मार्च को माफिया अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा हुई. इसके बाद उसे नैनी सेंट्रल जेल लाया गया. उस समय नैनी के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने माफिया अतीक को जेल में बंद करने से मना कर दिया था. अब जेल निरीक्षक शशिकांत सिंह के निलंबन को ये एक बड़ा कारण माना जा रहा है.
जेल के विभागीय अधिकारियों के बीच ये चर्चा बनी हुई है कि शशिकांत सिंह ने अतीक गैंग को मदद पहुंचाई थी अब उन्हीं पर कार्रवाई हो गयी. हालांकि उनके निलंबन की वजह शासकीय कार्यों में लापरवाही बताई गई है, अभी इस पूरे मामले में अतीक गैंग का कोई जिक्र नहीं है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक जेल के विभागीय अधिकारियों की मानें तो निलंबन का कारण माफिया अतीक को जेल में दाखिल न करके गेट पर करीब 5 घंटे तक इंतजार करवाना था.
इंतजार के बाद अतीक को साबरमती जेल भेजा गया. इसके अलावा तीन दिन पहले पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने जेल में सर्च ऑपरेशन चलाया था, जहां से आपत्तिजनक वस्तुएं जैसे चाकू और लाइटर चम्मच के अलावा अन्य प्रतिबंधित सामान जैसी आपत्तिजनक चीजें मिलीं थीं. इसी तरह के आपत्तिजनक सामान बरेली और बांदा जेल में भी मिले हैं.
बांदा जेल में हुई थी खुफिया जांच
पूर्वांचल का माफिया मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है. मुख्तार अंसारी के खिलाफ भी अभी कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में डीजी जेल की तरफ से खुफिया जांच कराई गई. डीआईजी जेल की रिपोर्ट के आधार पर बांदा के जेल अधीक्षक अविनाश गौतम सस्पेंड कर दिए गए हैं. जेल के अंदर काम न करने, लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामले में यह कार्रवाई की गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में बांदा जेल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि बैरक से कांटे जैसी प्रतिबंधित चीज भी बरामद हुई है. तीनों जेलों की रिपोर्ट डीजी जेल और शासन को सौंपी जा चुकी है.
उमेश की हत्या से पहले जेल में मिले थे 9 शूटर
24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या गोली और बम बरसाकर की गई. हत्याकांड के समय अतीक का भाई अशरफ बरेली जेल में बंद था. उमेश पाल की हत्या के 13 दिन पहले बरेली सेंट्रल जेल में 9 शूटर अशरफ से मिलने आए थे.
11 फरवरी को अतीक का बेटा असद, विजय उर्फ उस्मान चौधरी, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और अन्य पांच आरोपियों ने फर्जी ID से अशरफ से मुलाकात की.
कौन है अतीक का भाई अशरफ
अशरफ फिलहाल बरेली जेल में बंद है. उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक के साथ भाई अशरफ पर भी केस दर्ज किया गया था. अशरफ और अतीक अहमद दोनों को प्रयागराज की अदालत में पेश किया गया था. अतीक को जहां मामले का दोषी पाया गया वहीं अशरफ को बरी कर दिया गया था. फिलहाल अशरफ को प्रयागराज से दोबारा बरेली जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. अशरफ पर 50 से ज्यादा मामले चल रहे हैं.
अपनी जान को खतरा बता चुका है अशरफ
अशरफ जब बरेली जेल जा रहा था तब उसने मीडिया से मुखातिब होते हुए अपनी जान का खतरा बताया था. उसने कहा था कि उसे जेल में नहीं बल्कि जेल के बाहर खतरा है. उसने दावा करते हुए कहा था कि एक जेल अधिकारी ने मुझसे कहा है कि अपहरण मामले में तो तुम बच गए लेकिन जेल से बाहर निकालकर तुम्हारी हत्या कर दी जाएगी.'
अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ पर उमेश पाल के अपहरण का आरोप है. उमेश पाल बसपा विधायक राजू पाल हत्या मामले के इकलौते गवाह थे. अहमद और अशरफ पर उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल होने का भी आरोप है.
दोनों भाइयों ने जेल में बंद होने के दौरान उमेश पाल की हत्या करवा दी. बता दें कि बसपा विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हत्या हुई थी . हत्या के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल ने पुलिस को बताया था कि वह हत्या का गवाह है.
इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, 2 बेटों, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम मोहम्मद और 9 अन्य साथियों पर केस दर्ज कराया था.
बता दें कि अतीक अहमद के बहनोई अखलाक पर भी शूटरों को शरण देने और अपराध करने के बाद उन्हें भागने में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल उसे 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. अखलाक उत्तर प्रदेश के मेरठ के नौचंदी इलाके का रहने वाला है.
साबरमती जेल में बंद है अतीक अहमद
अतीक अहमद इस मामले में सबसे बड़ा मुजरिम है, वो फिलहाल गुजरात की साबरमती जेल में बंद है. अतीक के खिलाफ जबरन वसूली, बंदूक चलाने, हत्या, लूट, अपहरण और धमकी के लिए 100 आपराधिक मामले लंबित हैं.
60 साल का गैंगस्टर 1989 से 2002 तक लगातार पांच बार इलाहाबाद (पश्चिम) सीट से विधानसभा सदस्य रह चुका है. 2004 के आम चुनाव में अतीक अहमद फूलपुर संसदीय क्षेत्र से सासंद बना था.
बता दें कि अतीक को हथियार चलाने में महारत हासिल है. अतीक एक इशारे पर किसी की जान लेने वाले वालों को ही अपने गैंग में भर्ती करता है.
मामले में वकील की भी साबित हो चुकी है मिलिभगत, हो चुकी है उम्रकैद
उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक के पुराने वकील सौलत हनीफ का भी जुर्म साबित हो चुका है. जुर्म साबित होने के बाद वकील को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है.
याद दिला दें कि राजू पाल हत्या मामले में अतीक और उसका भाई अशरफ मुजरिम करार किए गए थे. उमेश पाल इस मामले में इकलौते गवाह थे. अदलात में सुनवाई के दौरान ये साबित हुआ कि वकील सौलत हनीफ ने अतीक की मौजूदगी में उमेश पाल को लिखित बयान देने पर मजबूर किया था.
अदालत ने इस बात की निंदा की थी कि एक वकील होने के नाते खान सौलत हनीफ शुरू से ही अतीक के साथ उनके जुर्म में उनका साथ देते रहे, और अतीक को करीब तीन दशक तक सजा होने से बचाया.