Atiq Ahmed Burial: अतीक और अशरफ अहमद को रविवार (16 अप्रैल) की रात सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद दोनों भाईयों के शव को परिजनों को सौंप दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक अतीक अहमद को आठ और अशरफ को पांच गोलियां लगी हैं. दोनों के शव को कब्रिस्तान लाया गया और चंद लोगों की मौजूदगी में उन्हें दफन किया गया.


15 अप्रैल को मेडिकल जांच के लिए ले जाते समय अतीक अहमद और भाई अशरफ अहमद को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद पुलिस ने तीनों हमलावरों को गिरफ्तार किया जिन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में प्रयागराज के नैनी जेल भेज दिया गया है. मामले की जांच जारी है. 


किस कब्रिस्तान में दफ्न किए गए?
अतीक अहमद और अशरफ अहमद को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफन किया गया. कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों शवों को कब्रिस्तान लाया गया. शाम करीब छह बजे दोनों शव कब्रिस्तान लाए गए. इस दौरान सिर्फ करीबी रिश्तेदार ही मौजूद रहे जिनमें कुछ महिलाएं भी थीं. रिश्तेदारों की उपस्थिति में दोनों भाईयों का अंतिम संस्कार हुआ. हालांकि रिश्तेदारों के अलावा अंतिम संस्कार में शामिल होने आए अन्य लोगों के आधार कार्ड देखकर ही उन्हें कब्रिस्तान में दाखिल होने दिया गया.


क्या जनाजे में कितने बेटे शरीक रहे?
अतीक अहमद के दो नाबालिग बेटे एहजम और अबान अपने पिता के जनाजे में शामिल हुए थे. उन्हें एंबुलेंस में जुवेनाईल कोर्ट से कसारी-मसारी कबिस्तान लाया गया था. हालांकि अतीक का बड़ा बेटा उमर यूपी की लखनऊ जेल में और दूसरा बेटा अली प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. अली पिता अतीक और चाचा अशरफ के जनाजे में शामिल नहीं हुआ. 


क्या पत्नी शाइस्ता ने पति अतीक का अंतिम दीदार किया?
अतीक अहमद और अशरफ अहमद के जनाजे में जहां अतीक के दो बेटे एहजम और अबान शामिल हुए थे वहीं उनकी बहनों ने भी अपने भाईयों को अंतिम विदाई दी. लेकिन इस दौरान अतीक की पत्नी शाईस्ता के कब्रिस्तान पहुंचने की कोई जानकारी नहीं है. 


क्या दोनों भाइयों के जनाजे की नमाज अलग-अलग हुई?
मुस्लमानों में मुर्दे को अंतिम विदाई देने के लिए जनाजे की नमाज पढ़ी जाती है. कसारी-मसारी कब्रिस्तान में अतीक अहमद और अशरफ अहमद के जनाजे की नमाज एक साथ पढ़ी गई और दोनों को करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में दफन किया गया.


दोनों भाइयों को कब्रिस्तान में कहां दफ्न किया गया?
मुस्लिम समाज में परिवार के सदस्यों की कब्रें आस-पास होने की परंपरा है. अक्सर बच्चे कोशिश करते हैं कि उनके मां-बाप की कब्र के आस-पास ही उनके कब्र के लिए जगह मिल जाए एक बेटे असद और माता पिता की कब्र के करीब ही जगह मिल जाए. वहीं अतीक और अशरफ को भी उनके माता-पिता और बेटे असद की कब्र के पास ही दफन किया गया. कसारी-मसारी कब्रिस्तान में अतीक और अशरफ के खानदान के कई सदस्यों की कब्रें हैं.


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