अतीक अहमद... प्रयागराज की सड़कों पर पिछले चार दशकों से लोगों के बीच भय का दूसरा नाम बना हुआ था. हालांकि, 15 अप्रैल की रात लगभग पौने ग्यारह बजे कुछ ऐसा हुआ, जिसने 40 साल की दहशत को चुटकियों में खत्म कर दिया. दरअसल, मीडियाकर्मी का भेष धारण कर पहुंचे तीन बंदूकधारियों ने 22 सेकेंड में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया.
पुलिस हिरासत में हुई इस हत्या के बाद एक तरफ जहां राज्य के कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ उसके अतीक अहमद आतंक से पीड़ित जनता को अब भी सुकून नहीं मिल पाया है. भले ही लोगों को अतीक से छुटकारा मिल चुका है, मगर उसके गुर्गों की दहशत अभी भी बरकरार है.
अतीक अहमद के आतंक से सताये कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी अतीक के गुर्गों के डर में जी रहे हैं. इन्हीं पीड़ितों में से एक हैं सूरजकली. दरअसल सूरजकली पिछले 34 साल से माफिया अतीक अहमद और उसके गुर्गों से लोहा लेती आई है. उन्होंने अतीक की मौत पर कहा, 'भले ही अतीक मर गया हो, लेकिन उसके गुर्गे तो अभी भी हैं, इसलिए सरकार उन्हें और उनके परिवार वालों को सुरक्षा दे.'
बता दें कि सूरजकली वही महिला हैं जिनके करोड़ों की जमीन हथियाने के लिए कभी अतीक ने उसके पति का अपहरण कर लिया था और तब से सूरजकली का पति कहां है किसी को नहीं पता.
दिल दहला देने वाली है सूरजकली की कहानी
सूरजकली अपने पति बृजमोहन कुशवाहा के साथ प्रयागराज के झलवा में रहती थी. उनके पास 12.5 बीघे की जमीन थी. जब इस क्षेत्र का विकास हुआ तो इस जमीन की कीमत बढ़ गई और इसका दाम करोड़ों में पहुंच गया. उस वक्त सूरजकली के पति बृजमोहन कुशवाहा अतीक अहमद के पिता फिरोज अहमद से ट्रैक्टर किराये पर लेकर खेती किया करते थे. ये वो समय था जब अतीक प्रयागराज के अंदर अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बन गया था.
अतीक के गिरोह के लोग पैसे कमाने के लिए विवादित जमीनों पर अवैध कब्जा करते और उसे बेच दिया करते थे. अतीक बृजमोहन कुशवाहा के उसी 12 बीघा जमीन को हथियाने के फिराक में लग गया. उसने उस जमीन को कम दाम में बेचने का प्रस्ताव रखा. बृजमोहन नहीं माने को उनके परिवार पर हमला किया गया लेकिन बृजमोहन भी अपने फैसले पर अड़े रहें.
साल 1989 की बात है एक दिन बृजमोहन अपने घर से निकले और फिर कभी वापस नहीं लौट पाएं. किसी को नहीं पता चल पाया कि बृजमोहन कहां गए, उनका क्या हुआ. इस बीच अतीक अहमद विधायक बन गया था. विधायक बनने के बाद भी उसने उस जमीन का पीछा नहीं छोड़ा और एक दिन बृजमोहन की पत्नी सूरजकली को कहा कि वह उस को जमीन भूल जाय.
भाई को लगाया गया करेंट
अतीक ने कहा कि वह उसके परिवार का पूरा खर्च खुद उठाएगा. इस ऑफर से सूरजकली को समझ आ गया था कि उनके पति को अतीक अहमद ने ही गायब कराया है. सूरजकली अपने पति को इंसाफ दिलाने थाने गईं. वहां पूरी बात बताई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
थाने में मौजूद पुलिस वालों ने सूरजकली को आश्वासन दिया कि वह बृजमोहन को ढूंढ लेंगे. लेकिन सूरजकली यहां रुकने वाली कहां थी, वह अतीक अहमद के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं, लेकिन इतने सालों तक संघर्ष करने के बाद भी न उन्हें अपने पति बृजमोहन मिले और न ही बाहुबली नेता अतीक के खिलाफ कार्रवाई हुई. सुरजकली को चुप कराने के लिए उनके भाई को भी करंट तक लगाया गया.
साल 1991 में पहली बार सूरजकली एफआईआर करवाने में सफल हुई. मगर उस वक्त भी अतीक पर लगे आरोप निराधार साबित हुए और साल 2001 में मामले को बंद कर दिया गया. एक बार फिर साल 2007 में बहुजन समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो अतीक अहमद पर कार्रवाई की गई. कहा जाता है कि इस मामले में लखनऊ में अतीक की गिरफ्तारी भी हुई थी.
सूरजकली की इस लड़ाई में बेटा भी हुआ शामिल
यह लड़ाई हर बीतते साल के साथ तेज होती जा रही थी. अब इस लड़ाई में सूरजकली अकेली नहीं थी बल्कि उसका बेटा भी उसके साथ था. दरअसल सूरजकली का बेटा बड़ा हुआ तो वह भी अपनी जमीन बचाने के लिए और पिता की खोजबीन की लड़ाई लड़ने लगा.
साल 2016 में उसे गोली मार दी गई. हॉस्पिटल में इलाज के दौरान भी अतीक अहमद धमकी देता था. उस वजह से उसे वहां से भागना भी पड़ा था. अतीक के गिरोह के लोगों ने सूरजकली के घर पहुंचकर कई बार उसे धमकाया, लेकिन उस महिला ने न कभी हार नहीं मानी और न ही कभी अतीक की शर्तें मानने के लिए तैयार हुई.
सूरजकली ने कहा, "मैं पिछले कई सालों से कचहरी, तहसील और थाने में प्रार्थना पत्र लेकर जाती थी, लेकिन कोई सुनवाई होती नहीं थी. अतीक के नाम पर कोई भी अधिकारी सुनना नहीं चाहता था. मुझ पर और हमारे घर पर पिछले 30 सालों में 7 बार हमला हो चुका है, हमें सैकड़ों बार धमकियां दी गईं लेकिन मैं टूटी नहीं और अतीक से आज भी लड़ रही हूं."
न्याय की मांग
शनिवार को जब अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या कर दी गई तब सूरजकली ने सरकार से मांग की है उसे न्याय दिलाया जाए. 35 सालों से वो अपनी अरबों की पुश्तैनी जमीन को बचाने के लिए लड़ रही है. इसके साथ ही उन्होंने अतीक के गिरोह के खतरे को बताते हुए परिवार वालों को सुरक्षा देने की मांग की है.
ऐसी ही एक लड़ाई पुष्पा ने भी लड़ी है
सुरजकली की 34 साल की लड़ाई की तरह ही दूसरी कहानी है प्रयागराज की पुष्पा सिंह की. प्रयागराज के ही कसारी-मसारी इलाके में पुष्पा और उसके पति का 22 वर्ग फुट जमीन थी और उस जमीन उन्होंने एक छोटा सा कमरा भी बनवाया था. पुष्पा के पति उत्तर प्रदेश एग्रो में नौकरी करते थे.
कुछ सालों तक इस घर में रहने के बाद पुष्पा के पति का तबादला कानपुर में हो गया. तबादले के बाद पूरा परिवार कानपुर रहने लगा और जब वह साल 2007 में कसारी मसारी वापस आए तो उन्हें पता चला कि उनका मकान तुड़वाकर उस जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. और कब्जा करने वाला था विधायक अतीक अहमद.
इस अवैध कब्जे के खिलाफ पुष्पा और उसका पति धूमनगंज थाने में मामला दर्ज करवाने पहुंचा. लेकिन शिकायत नहीं दर्ज की गई. इस मामले को दर्ज करवाने के लिए पुष्पा के परिवार ने कई चक्कर लगाए लेकिन उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. पुष्पा के पिता ने इस बात अवैध कब्जे की शिकायत कई वरिष्ठ अधिकारियों से भी की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. लगातार कोशिशों के बाद इस मामले की एसडीएम और पुलिस अधीक्षक जांच करने आए. इस मामले में एफआईआर हुई लेकिन मामला दबा रहा. अभी साल 2021 में कोर्ट से समन आया. तब से वह तीन बार गवाही हो चुकी है.
अतीक अहमद पर थे 100 से ज्यादा मुकदमे
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या 15 अप्रैल को कर दी गई. दोनों की हत्या ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश पुलिस और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस राज्य में पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर सवाल उठ चुके हैं और कई बार विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा भी है.
लेकिन अतीक अहमद कोई आम बाहुबली या नेता नहीं था. उसके खिलाफ कई मामले चल रहे थे. इस हत्या से पहले उसे साबरमती जेल में रखा गया था और उनके खिलाफ MPMLA अदालत में 50 से ज्यादा मामलों पर सुनवाई चल रही थी. ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी.
अतीक अहमद का नाम उन चंद नेताओं में आता है जिसने अपराध की दुनिया से बाहर आकर राजनीति में अपनी जगह बनाई थी. हालांकि यूपी की राजनीति में भी अतीक की छवि बाहुबली नेता की ही रही थी और अपने बाहुबली अंदाज के कारण वह कई बार सुर्ख़ियों में रहा था.
अतीक अहमद पर 100 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज थे. प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के अनुसार पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद के खिलाफ साल 1996 से अब तक 50 मुकदमे विचाराधीन थे.
इसके अलावा वह बहुजन समाज पार्टी विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त था. इस मामले में अब तक सीबीआई जांच कर रही है. वहीं 28 मार्च 2022 को प्रयागराज की एमपीएमएलए कोर्ट ने उसे साल 2006 किए गए उमेश पाल का अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया था और उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी.
20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट की मानें तो हमारे देश में पिछले 20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. हालांकि सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई.
उत्तर प्रदेश में 5 साल में पुलिस कस्टडी में 41 की मौत
आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 से 2022 तक यानी पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी में 41 लोगों की हत्या हो चुकी है. लोकसभा में गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार साल 2017 में 10 लोगों की मौत हुई, साल 2018 में 12 लोगों की पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हुई, साल 2019 में 3, 2020 में 8 और 2021 में 8 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है.