नई दिल्ली: 1947 में देश के बंटवारे के बाद बहुत से व्यापारियों ने हिंदुस्तान को अपनी सरजमीं माना और पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान में व्यापार का मन बनाया. ऐसे ही कुछ सपने लेकर जानकी दास कपूर कराची से सोनीपत आ गए. इसके बाद 1951 में नींव पड़ी एटलस साइकल्स की और देखते ही देखते एटलस देश में साइकल की पर्यायवाची बन गई और अब इसी एटलस साइकल को अलविदा कहने का वक्त आ गया, क्योंकि कंपनी ने आर्थिक तंगी के चलते अपना आखिरी कारखाना भी बंद कर दिया है. इसी के साथ अब एटलस साईकल बीते जमाने की बात बनकर रह जाएगी.
विश्व साइकल दिवस के दिन हुई बंद
इसे भी विडंबना ही कहा जाएगा कि विश्व साइकल दिवस के दिन ही एटलस साइकल्स के सफर पर पूर्ण विराम लगा है. जिस विश्व साइकल दिवस को दुनिया भर में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के मकसद से मनाया जाता है, उसी दिन भारत के प्रमुख साइकल ब्रांड एटलस का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया है. 3 जून को कंपनी ने अपने गाजियाबाद स्तिथ आखिरी साइकल कारखाने को बंद करने का एलान कर दिया है.
700 से ज़्यादा लोगों के रोज़गार पर संकट
एटलस साइकल्स के गाजियाबाद के साहिबाबाद स्तिथ कारखाने की सालाना उत्पादन क्षमता लगभग 40 लाख साइकल्स की थी. इस कारखाने में लगभग 1400 स्थाई और अस्थाई कर्मचारी काम करते थे, लेकिन बीते कुछ समय से साइकल उत्पादन की रफ्तार धीमी थी और यहां लगभग 700 स्थाई और अस्थाई कर्मचारी काम करते थे. अब उत्पादन पूरी तरह से बंद होने पर इन 700 लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.
कंपनी ने कारखाने पर नोटिस चस्पा कर कहा है कि वित्तीय समस्याओं के चलते कंपनी के पास कच्चा माल खरीदने की भी स्तिथि नहीं है. ऐसे में कंपनी ने ले ऑफ का निर्णय लिया है. ले ऑफ के चलते कंपनी अपने कर्मचारियों को आधी तनख्वाह देगी. लेकिन, कर्मचारियों का कहना है कि ले ऑफ के चलते उनके हाथ में 4-5 हज़ार रुपये आएंगे और उन्हें रोज आकर हाजरी लगानी होगी. कर्मचारियों का कहना है कि चार से पांच हजार रुपये महीना में ना तो वह घर घर चला सकते हैं और न ही रोजाना हाजिरी लगाने के चलते कहीं और नौकरी कर सकते हैं. ऐसे में अधिकांश कर्मचारियों का कहना है कि वह चाहते हैं कि कंपनी उनका पूरा हिसाब कर दे.
इससे पहले भी 2 प्लांट बंद हुए
एटलस साइकिल्स लिमिटेड ने 1951 में हरियाणा के सोनीपत में अपना पहला प्लांट लगाया था. इसके बाद एटलस ब्रांड की साइकल्स की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने दो और प्लांट लगाए. एक प्लांट मध्य प्रदेश के मालनपुर और दूसरा प्लांट उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में था. लेकिन समय का चक्र ऐसा घूमा की एटलस साइकिल्स लिमिटेड वित्तीय संकट से जूझने लगी. कंपनी ने दिसंबर 2014 में मध्यप्रदेश के मालनपुर स्थित अपने प्लांट को बंद कर दिया. इसके बाद कंपनी ने फरवरी 2018 में हरियाणा के सोनीपत में अपनी निर्माण इकाई पर भी ताला जड़ दिया. अब कंपनी अपने तीसरे और आखिरी प्लांट को भी बंद कर चुकी है. ऐसे में अब एटलस साइकिल सिर्फ यादों के झरोखे में ही रहेगी.
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