सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू और हरदीप सिंह निज्जर पर कार्रवाई, सपत्तियों की कुर्की शुरू
इन दोनों का संबंध सिख फॉर जस्टिस संगठन से बताया गया है. ये संगठन भारत में प्रतिबंधित है. एनआईए इस संगठन की तरफ से किए गए अपराधों की जांच कर रही है.
नई दिल्ली: आतंकवादी निरोधक अधिनियम के तहत अब केंद्र सरकार द्वारा नामित किए गए आतंकवादियों की संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. इसके तहत सरकार ने आज पंजाब के आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू और हरदीप सिंह निज्जर की चल अचल संपत्तियों को जप्त करने के आदेश जारी कर दिए. इनमें से एक आतंकी पंजाब के जिला अमृतसर और दूसरा जिला जालंधर का रहने वाला बताया गया है. यह दोनों ही सिख फॉर जस्टिस से संबंधित बताए गए हैं जो कि भारत में एक प्रतिबंधित संगठन है.
एनआईए के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में तथाकथित खालिस्तान के निर्माण के लिए सिक्स रेफरेंडम 2020 के बैनर तले अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस द्वारा किए गए अपराधों की जांच की जा रही है. एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले की जांच के दौरान पाया गया कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे), यूएसए के आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की अगुवाई में, वर्तमान में सोशल मीडिया पर 'सिख रेफरेंडम-2020' के प्रचार के लिए प्रयास कर रहा है. यह संगठन अपनी अवैध गतिविधियों के लिए प्रवासी भारतीयों को उकसाने और जुटाने के लिए अमेरिकी और अन्य देशों में कुछ स्थानों पर बैठकें करने की कोशिश कर रहा है.
आरोप के मुताबिक इस पूरे मामले में हरदीप सिंह निज्जर भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा है. जांच के दौरान एनआईए ने इन दोनों को भारत विद्रोही गतिविधियों के लिए पूरी तरह से दोषी पाया था जिसके बाद इन दोनों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अधिनियम के नए कानून के तहत कार्यवाही करने की सिफारिश की गई थी. एनआईए की जांच और सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार ने दिनांक 1 जुलाई 2020 की अधिसूचना के अनुसार, गुरपतवंत सिंह पन्नू और हरदीप सिंह निज्जर को गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की चौथी अनुसूची में पहले आतंकवादी के रूप में नामित किया है.
एनआईए ने जांच के दौरान जिला अमृतसर में गुरपतवंत सिंह पन्नू, और जिला जालंधर में हरदीप सिंह निज्जर की अचल संपत्तियों की पहचान की थी और यूएपीए अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत इन संपत्तियों की कुर्की के लिए सरकार को स्थानांतरित कर दिया था.
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