Attack On Asaduddin Owaisi House: एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि उनके घर पर हमला हुआ जिसमें किसी अनजान शख्स ने घर पर काली स्याही फेंक दी. इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट करके दी.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो भी पोस्ट किया. एआईएमआईएम चीफ ने लिखा, "आज कुछ "अज्ञात बदमाशों" ने मेरे घर पर काली स्याही फेंकी. अब मैं गिनती भूल गया हूं कि मेरे दिल्ली स्थित घर को कितनी बार निशाना बनाया गया. जब मैंने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से पूछा कि उनकी नाक के नीचे यह सब कैसे हो रहा है तो उन्होंने अपनी बेबसी जाहिर की."
ओवैसा ने अमित शाह पर साधा निशाना
असदुद्दीन ओवैसी ने गृह मंत्री पर हमला करते हुए आगे कहा, "अमित शाह यह सब आपकी निगरानी में हो रहा है. ओम बिरला कृपया हमें बताएं कि सांसदों की सुरक्षा की गारंटी होगी या नहीं. मेरे घर को निशाना बनाने वाले दो कौड़ी के गुंडों से: इससे मुझे डर नहीं लगता. सावरकर जैसी कायरतापूर्ण हरकतें बंद करो और मेरा सामना करने के लिए हिम्मत जुटाओ. स्याही फेंकने या पत्थर फेंकने के बाद भाग मत जाना."
असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ शिकायत
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा, “शपथ लेने के दौरान जिस तरह से ओवैसी ने जय फिलिस्तीन का नारा लगाया, यह बहुत गंभीर और विचारणीय प्रश्न है. ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि क्या भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश के प्रति इतना समर्पित हो सकता है कि वो लोकतंत्र के मंदिर में ही उस देश के नाम का जयकारा लगा दे? क्या भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति की दूसरे देश के प्रति श्रद्धा हो सकती है? ओवैसी शपथ लेते समय जय फिलिस्तीन का नारा लगा रहे हैं. इन्होंने जय भारत का नारा नहीं लगाया. इन्हें इस नारे की जरूरत नहीं लगी, लेकिन जय फिलिस्तीन का नारा लगा रहे हैं.“
'भड़काने के मकसद से ओवैसी ने ऐसा किया'
उन्होंने आगे कहा, “ओवैसी एक वकील हैं, उन्हें पता है कि आर्टिकल 102 के तहत उनकी संसद सदस्यता रद्द हो सकती है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने ऐसा नारा लगाया. वास्तव में उन्होंने ऐसा भड़काने के मकसद से किया. उन्होंने यह नारा देश में वैमनस्य पैदा करने के मकसद से किया. इसलिए मैंने राष्ट्रपति को इस संबंध में एक प्रार्थना पत्र भेजकर यह निवेदन किया है कि उनकी संसद सदस्यता रद्द की जाए. इसके अलावा, निर्वाचन आयोग से इस संबंध में रिपोर्ट मंगाई जाए. अगर भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश के प्रति समर्पित है, तो वह किसी भी संवैधानिक पद पर रहने के योग्य नहीं है.“
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