नई दिल्लीः एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पद से हटने की इच्छा जताई है. केंद्र सरकार के सबसे बड़े वकील के तौर पर रोहतगी 3 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. कानून मंत्री को लिखी चिट्ठी में उन्होंनेनिजी प्रैक्टिस में लौटने की इच्छा जताई है. रोहतगी ने कहा है कि वो पहले 5 साल वाजपेयी सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. अब 3 साल एटॉर्नी जनरल के पद पर रहे. अब दोबारा निजी प्रैक्टिस करना चाहते हैं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसके पीछे कोई वजह नहीं बताई.
2 जून को सरकार ने रोहतगी समेत 7 विधि अधिकारियों को अंतरिम सेवा विस्तार दिया था. नियम के मुताबिक एटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का कार्यकाल 3 साल का होता है. इसे 2 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, सरकार ने सिर्फ अगले आदेश तक कार्यकाल बढ़ाने की बात कही थी.
मुकुल रोहतगी देश के आला वकीलों में शुमार हैं. जून 2014 में एटॉर्नी जनरल बनने से पहले वो सुप्रीम कोर्ट के सबसे महंगे और व्यस्त वकीलों में से एक थे. वो वित्त मंत्री अरुण जेटली के बेहद करीबी माने जाते हैं.
बतौर एटॉर्नी जनरल उनका कार्यकाल मिला-जुला रहा. उत्तराखंड और अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के मामले में उनकी दलीलें कोर्ट पर असर नहीं डाल सकीं. फैसला केंद्र सरकार के खिलाफ आया. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग यानी NJAC मामले में भी सरकार को नाकामी हाथ लगी. लेकिन नोटबंदी के दिनों में रोहतगी ने बेहद मज़बूती से सरकार का पक्ष रखा. उनकी दलीलों की बदौलत सरकार इस मामले में अदालती दखल से बच गई. 3 तलाक मामले में भी उन्होंने सरकार का पक्ष संतोषजनक तरीके से रखा.