औरंगाबाद: औरंगाबाद जिला परिषद ने अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल नहीं करने वाले कर्मचारियों के 30 फीसदी वेतन कटौती की घोषणा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है. गुरुवार को परिषद की बैठक के दौरान जिला परिषद की अध्यक्ष मीना शेलके ने यह प्रस्ताव रखा था. इससे पहले नवंबर 2020 में लातूर जिला परिषद ने सर्वसम्मति से इस तरह के प्रस्ताव को पारित किया था, जो ऐसा करने वाली देश की पहली जिला परिषद थी.


औरंगाबाद जिला परिषद के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया है और लोगों ने इसकी सराहना भी की है. परिषद ने यह निर्णय लिया है कि कर्मचारियों के काटे गए वेतन के हिस्से को उनके माता-पिता के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा.






कर्मचारियों के पैरेंट्स ने की थी देखभाल नहीं करने की शिकायत
बैठक में परिषद की अध्यक्ष शेलके ने कहा कि प्रस्ताव पर विचार करने का निर्णय तब लिया गया था, जब उन्हें जिला परिषद के कर्मचारियों के माता-पिता से शिकायत मिली थी कि उनके बच्चे या तो उनके साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं या उनकी देखभाल नहीं कर रहे हैं. शेलके ने कहा कि "इस तरह का व्यवहार कथित तौर पर लॉकडाउन अवधि के दौरान बढ़ा, जब लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे थे और घर पर रहने के लिए मजबूर थे."


दोनों पक्षों को सुनकर फैसला लेगी कमेटी


रिजोल्युशन के अनुसार, एक कमेटी जिला परिषद के कर्मचारियों के माता-पिता से प्राप्त शिकायतों की जांच करेगी. इसके बाद दोनों पक्षों को केमटी के समक्ष अपने पक्ष रखने का उचित मौका दिया जाएगा.


कमेटी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आरोपों और दावों को वेरीफाई भी करेगी. निष्कर्षों के आधार पर वेतन में कटौती करने और उन्हें माता-पिता के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए सिफारिश की जाएगी. जिला परिषद के सीईओ की ओर से मंजूरी दे दिए जाने के बाद प्रपोजल डोक्यूमेंटशन वर्क के लिए अकाउंट्स डिपार्टमेंट को भेजा जाएगा. जिला परिषद के सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है.


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