चीन से तनातनी के बीच भारत, अमेरिका और जापान के साथ ऑस्ट्रेलिया भी लेगा मालाबार युद्धभ्यास में हिस्सा
रक्षा मंत्रालय ने आज बयान जारी कर बताया कि क्योंकि भारत समुद्री सुरक्षा-क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है और आस्ट्रेलिया से भारत का लगातार रक्षा सहयोग बढ़ रहा है इसीलिए मालाबार-2020 में आस्ट्रेलियाई नौसेना भी शिरकत करेगी.
नई दिल्ली: एलएसी पर भारत से और साउथ चायना सी में अमेरिका से चल रही तनातनी के बीच इस साल मालाबार एक्सरसाइज में आस्ट्रेलिया की नौसेना भी हिस्सा लेने जा रही है. ये पहली बार होगा कि आस्ट्रेलिया इस एक्सरसाइज में हिस्सा लेने जा रहा है. अभी तक भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं ही इस एक्सरसाइज में हिस्सा लेती आई हैं, लेकिन चीन को ये एक्सरसाइज फूटी आंख नहीं सुहाती है.
रक्षा मंत्रालय ने आज बयान जारी कर बताया कि क्योंकि भारत समुद्री सुरक्षा-क्षेत्र में दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है और आस्ट्रेलिया से भारत का लगातार रक्षा सहयोग बढ़ रहा है इसीलिए मालाबार-2020 में आस्ट्रेलियाई नौसेना भी शिरकत करेगी.
मालाबार एक्सरसाइज की शुरूआत भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच 1992 में शुरू हुई थी. वर्ष 2015 में जापान ने भी इस युद्धभ्यास में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. उसके बाद से ही ये एक्सरसाइज एक साल अमेरिका के समंदर में होती है तो एक साल जापान की समुद्री-सीमा में और एक साल भारत के समंदर में. वर्ष 2018 में मालाबार एक्सरसाइज अमेरिकी मिलिट्री बेस, गुआम के करीब फिलीपींस-समंदर में हुई थी, वहीं 2019 में जापान में हुई थी. इस साल के अंत में ये एक्सरसाइज बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में होने की उम्मीद है. कोरोना के चलते ये एक्सरसाइज पूरी तरह से नो-कॉन्टेक्ट होगी और समंदर में ही होगी (पोर्ट-एक्सरसाइज नहीं होगी). रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, मालाबार-2020 से अभ्यास में हिस्सा लेने वाले देशों की नौसेनाओं के बीच समन्वय मजूबत होने की संभावना है.
प्रतीकात्मक तस्वीरआपको बता दें कि जब जापान ने मालाबार एक्सरसाइज में शिरकत करने की कोशिश की थी तो चीन ने इसका बाकयदा विरोध किया था. क्योंकि चीन को लगता था कि भारत-अमेरिका और जापान उसके खिलाफ लामबंद हो रहे हैं. लेकिन वर्ष 2015 में भारत ने चीन का विरोध दरकिनार कर जापान को मालाबार एक्सरसाइज में शामिल कर लिया था.
सोमवार को रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि मालाबार2020 में हिस्सा लेने वाले देशों में समुद्री-परिक्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने में मदद तो मिलेगी ही साथ ही एक साथ मिलकर फ्री, ओपन और इन्कुलिजव इंडो-पैसेफिक (प्रशांत महासागर) पर जोर देते हैं. ये सभी चारों देश नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इस बीच खबर हैं कि 26-27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच राजधानी दिल्ली में 2+2 (‘टू प्लस टू’) मीटिंग होने जा रही है. इस मीटिंग में भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्री एक साथ बैठक करेंगे.
खबर ये भी है कि सोमवार को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने अंबाला स्थित खड़गा स्ट्राइक कोर का दौरा कर ऑपरेशन्ल तैयारियां का जायजा लिया. साथ ही उन्होन अंबाला स्थित वायुसेना के एयरबेस का भी दौरा किया जहां हाल ही में रफाल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से लाया गया है.