नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के गृह राज्य मंत्री जेसन वुड ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत की. उन्होंने भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंधों के साथ हेल्थ सिस्टम और कोविड 19 को लेकर अपने विचार रखे और तैयारियों के बारे में बात की. इसके साथ ही उन्होंने चीन की जवाबदेही तय करने की भी वकालत की.


जेसन वुड ने कहा कि भारत औऱ ऑस्ट्रेलिया के बहुत मजबूत रिश्ते हैं. जल्द ही स्थिति होगी कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या चीनी मूल के नागरिकों से अधिक होगी. भारतीय मूल के लोगों की एक खासियत होती हैं को वो बहुत उद्यमी, लगन से काम करने वाले होते हैं और यहां आने पर भी भारत के साथ उनके बड़े जीवंत संबंध हैं.


ऑस्ट्रेलिया में करीब 50 फीसद आबादी ऐसी है जो या तो किसी दूसरे मुल्क में पैदा हुए या उनके माता-पिता में से कोई एक विदेश से आया. ऑस्ट्रेलिया बहु सांस्कृतिक देश है. ऐसे में जब भारत जैसे देशों से छात्र यहां आते हैं तो एक मजबूत भारतीय समुदाय उनकी मदद के लिए तैयार होता है. इसकी एक वजह यह भी है कि समुदाय के अधिकतर लोग भी यहां छात्र रहे हैं.


केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मदद के लिए 70 लाख डॉलर का एक कोष रेड क्रॉस के जरिए उपलब्ध कराया है. साथ ही इस समय उन्हें कई रियायतें भी दी गई हैं. छात्र इस समय विश्वविद्यालयों में नहीं जा रहे हैं. लिहाजा वो अपने घर से कुछ काम भी कर सकते हैं. जो 12 महीने से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हैं उन्हें भी सुविधाएं दी गई हैं. भारत में इन बच्चों के माता-पिता को मैं यही कहना चाहूंगा कि आप चिंता न करें. हम आपके बच्चों का अपने बच्चों की तरह ही ध्यान रख रहे हैं.


ऑस्ट्रेलिया को इस समय सबसे सुरक्षित जगह कह सकते हैं


ऑस्ट्रेलिया का हेल्थकेयर सिस्टम दुनिया की सबसे अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं वाला है. कल ही हमें पता चला की हमारे पास 4000 वैंटिलेटर एक्सट्रा हैं क्योंकि उनकी जरूरत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया को आप इस समय सबसे सुरक्षित जगह कह सकते हैं क्योंकि हमारे यहां केवल 6 हजार केस हैं. विक्टोरिया प्रांत जहां से मैं बात कर रहा हूं वहां केवल 20 मामले एक दिन में सामने आए हैं.


ऑस्ट्रेलिया में लोग भारत के पसंद करते हैं
हमने देखा कि किस तरह भारतीय समुदाय ऑस्ट्रेलिया में लोगों की मदद कर रहा है.अपने पड़ोसियों का ध्यान रख रहा है. ऑस्ट्रेलिया के बुश फायर संकट में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्तें हैं. मेरा मत है कि कोविड19 संकट के बाद हम चीन पर मास्क मेडिकल साजो-सामान आदि की सप्लाई के लिए निर्भर नहीं रह सकते हैं. आप देखेंगे कि भारत और ऑस्ट्रेलिया काफी नजदीक सहयोग के साथ अब इस दिशा में काम करेंगे. स्वाभाविक है कि भारत की आत्मनिर्भर बनना चाहेगा और ऑस्ट्रेलिया भी. ऑस्ट्रेलिया में लोग भारत के पसंद करते हैं और कम्युनिटी मामलों का मंत्री होने के नाते मैं खुद दिवाली, होली जैसे त्यौहारों में जाता हूं.


सवालों के घेरे में है विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका
प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, विदेश मंत्री मेरिस पेन और स्वयं मैं इस बार में स्पष्ट विचार रखते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल हैं. ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश था जिसने चीन से आने वाले लोगों पर कोविड संकट के मद्देनजर यात्रा प्रतिबंध लगाए. स्वाभाविक रूप से चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी इससे खुश नहीं थी. जबकि यह एक सही फैसला था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने भी ऑस्ट्रेलिया की इसके लिए आलोचना की. इसे गलत और गैरजरूरी बताया था.


जिस तरह विदेश मंत्री मेरिस पेन ने कहा कि किसी भी जांच में शिकारी और दरबान एक साथ कैसे हो सकते हैं. इस तरह की जांच में स्वतंत्र पक्ष होना चाहिए. हम अपेक्षा करेंगे कि भारत जैसे देश इसमें शामिल हों. प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन इस बारे में अमेरिका, जर्मनी व अन्य देशों के नेताओं से बात करेंगे.


वेट मार्केट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की जरूरत
एक अन्य विषय जो मैंने उठाया है वो है वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट का. हमने देखा है कि सार्स की बीमारी की शुरुआत चीन के वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट से हुई जहां जंगली जानवरों का मांस बेचा जाता है. अब हम कोविड19 को देख रहे हैं जो किसी न किसी रूप में चीन के वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट से ही जुड़ा है. इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.


मछली, चिकन जैसे सामान्य मांसाहार की बिक्री से हमें कोई समस्या नहीं है. लेकिन जब बीमारियों से भरे चमगादड़ को चिकन व अन्य मांसाहार उत्पादों के साथ बेचा जाता है तो यह एक ऐसा कॉम्बिनेशन है जो तबाही ला सकता है. हमने दो बार ऐसे होते देखा है. हम इसके फिर होने की जोखिम नहीं ले सकते हैं. इस मत को ऑस्ट्रेलिया और भारत में भी कई लोगों का समर्थन हासिल है.


जब मैंने इस मुद्दे को उठाया तो मुझे रेसिस्ट कहा गया. लेकिन हम जैसे नेताओं को आगे आकर गलत को गलत कहना होगा. वर्ना बदलाव नहीं आएगा. मैं यह जानता हूं कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ऐसी टिप्पणियों से खुश नहीं होती है.


चीन को जवाबदेह बनाना होगा
चीन को तो खुद इस मामले में पहल करना चाहिए.कोविड बीमारी की पहली शिकार तो चीन के हुबेई प्रांत और वुहान शहर की जनता ही बनी. इतना ही नहीं जिस तरह दुनिया के कई मुल्कों में लोगों ने जान गंवाई, लोगों का नौकरियां गईं. आज जो लोग भारत में या अन्य मुल्कों में आइसोलेशन में हैं. इस स्थिति के लिए कुछ पारदर्शिता की जरूरत है. चीन को जवाबदेह बनाना होगा, साथ ही इसके लिए काम करना होगा कि ऐसा फिर से न हो.


चिंता के ऐसे सवाल केवल एशिया ही नहीं दुनियाभर के वेट मार्केट को लेकर भी है. हमारी अपेक्षा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन सख्ती के साथ इस मामले पर अपना रुख दिखाए और इन्हें बंद करे. चीन को पारदर्शी होना चाहिए. हमारे बाजार तो इस तरह की महामारी का स्रोत नहीं हो रहे हैं. वायरोलॉजी के जानकार और विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऐसा फिर से हो सकता है. तो हमें सतर्क रहने की और भी जरूरत है. कई लोगों की जान गई है. उनके परिवारों का दुख देखिए.


ऑस्ट्रेलिया में हमने बहुत कम समय में 4 हजार वैंटिलेटर बनाए


जेसन वुड ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है और हम अब अपने अस्पतालों में इलेक्टिव सर्जरी शुरु करने जा रहे हैं. लेकिन कई मुल्कों में स्थिति अभी भी खराब है. ऑस्ट्रेलिया ने पहले कदम उठाए, सख्त कदम उठाए. भारत ने भी इसी तरह की कार्रवाई की. मगर हम इस स्थिति के दोहराव की इजाजत नहीं दे सकते.


ऑस्ट्रेलिया में मेरा विभाग सीमा रक्षक बल का भी प्रभारी है. तो हमें जब भी जानकारी मिली कि इस तरह की खराब गुणवत्ता वाली किट आ रही हैं तो हमने कार्रवाई की. ऐसा कोई भी सामान जो हमारे मानकों के मुताबिक नहीं है उसके आयात की इजाजत नहीं दी जाती. हम उसे जब्त कर लेते हैं. उन्हें नष्ट कर देते हैं. बुश फायर के समय भी बहुत से ऑस्ट्रेलियाई चीनी कारोबारियों ने पर्सनल प्रोटेक्शन का सामान आयात किया. मगर गुणवत्ता में खराब होने पर हमने उसे वापस किया.

ऑस्ट्रेलिया में हमने बहुत कम समय में 4 हजार वैंटिलेटर बनाए. मास्क और कवरऑल भी हम बना रहे हैं. मुझे भरोसा है कि भारत भी इसी तरह का कदम उठा रहा होगा. क्योंकि इस तरह के साजो-सामान में आत्मनिर्भर होना जरूरी है.