नई दिल्ली: दिल्ली में लेखक संजय राजपाल की किताब ‘आचार व्यवहार और शिष्टाचार’ लॉन्च हुई. यह किताब कोरोना काल मे आई है जिसको बेहद सराहा जा रहा है. शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में कुछ लोगों की मौजूदगी में इसको लॉन्च किया गया. इस किताब को गोया पब्लिशिंग ने पब्लिश किया है. बुक लॉन्च के मौके पर अलग-अलग रुचि से जुड़े लोग मौजूद रहे.


संजय राजपाल की यह दूसरी किताब है. उनकी पहली किताब 'इट्स आल अबाउट एटीकेट्स' 2018 में आई थी जो कि अंग्रेज़ी में थी. जिसके बाद उनको कई सुझाव मिले और कई लोगों ने उनसे उसी किताब को हिंदी में लॉन्च करने का आग्रह भी किया था. जिसके बाद 2020 के खत्म होते होते तकरीबन 18 महीनों की मेहनत और लेख के बाद संजय राजपाल की यह किताब पूरी हो गई. कोरोना के कठिन वक़्त से गुजरने के बाद जो कुछ भी सीखा वह भी उन्होंने संशोधन के साथ इस किताब में साझा किया है. अपनी किताब को संजय राजपाल ने आज के समाज और समय से जोड़ते हुए बताया कि जिस तरह से समाज में झगड़े, लड़ाइयां हो रही हैं और लोगों की रुचि धन, यश और झूठी शानों शौकत में रह गई है और जिन भौतिक सुखों के लाभ में मनुष्य अपना सब कुछ दाव पर लगा देता है, इसीलिए जीवन में शिष्टाचार को दर्शाने वाली यह पुस्तक लिख कर उनका मानना है कि यह खास कर युवा पीढ़ी को मार्ग दर्शन देगी और समाज को एक नई दिशा देने के लिए में मील का पत्थर साबित होगी.


संजय राजपाल ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया, "इस किताब में 3 साल में जो चीज़े छूट गई थीं वह ऐड की हैं. सोशल मीडिया एटीकेट्स हैं इसमें. काफी लोगों ने इसको पसंद भी किया और सुझाव भी दिए कि इसको हिंदी में लेकर आना चाहिए. और काफी बड़ी संख्या हिंदी से है इसलिए यह लेकर आए. हमारी संस्कृति और मूल्यों से हम धन, उन्नति की वजह से पीछे हटते जा रहे हैं. धरोहर में मिली संस्कृति को छोड़ना नहीं चाहिए. कोरोना ने बहुत कुछ सिखा दिया है. कारों और मकानों से बहुत प्रभावित हो गए हैं. लेकिन जो ज़मीनी चीज़ें हैं उसको नहीं छोड़ना चाहिए. मुझे 18 महीने लगे इस किताब को लिखने में. कोरोना काल में सफाई, स्वछता वग़ैरह के बारे में भी इस किताब में उल्लेख है."


इस मौके पर अलग अलग रुचि से जुड़े लोग मौजूद थे जिसमें प्रोफेसर राजिनी बग्गा, माइंड लीडर डॉक्टर प्रदीप त्यागी, गोया पब्लिशिंग सके निखिल मित्तल, डॉक्टर बिस्वरूप रॉय चौधरी और विश्वनाथ प्रसाद मौजूद रहे. बुक लॉन्च के मौके पर सभी ने अलग-अलग तरह से और खासकर कोरोना से जोड़कर इस किताब के बारे में कहा. बिस्वरूप चौधरी ने इमोशनल इंटेलिजेन्स की बात उठाई तो वहीं वविश्वनाथ प्रसाद ने कहा कि हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को क्या दे रहे है और इस वक़्त के दौर में शिष्टाचार कितना जरूरी है?


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