मिस इंडिया 2020 : रनर अप मान्या सिंह के रिक्शा चालक पिता ने सुनाई संघर्ष की दास्तां
'मिस इंडिया 2020' की रनर अप बनीं मान्या सिंह के पिता ओमप्रकाश बताते हैं कि मान्या ने जब 'मिस उत्तर प्रदेश' प्रतियोगिता जीती थी तो मुझे यकीन हो गया था कि वो राष्ट्रीय स्तर पर भी एक दिन मेरा और परिवार का नाम रौशन करेगी.
मुंबईः 'मिस इंडिया 2020' की रनर अप बनीं मान्या सिंह की जिंदगी का सफर आसां नहीं रहा है. मान्या सिंह के बाद अब उनके रिक्शा चालक पिता ओमप्रकाश सिंह ने भी एबीपी न्यूज़ से बातचीत कर अपने परिवार के संघर्षों की दास्तां को साझा किया. ओमप्रकाश सिंह अपनी पत्नी के साथ 1992 में मुंबई आये थे और 1993 से वे मुम्बई में रिक्शा चलाकर अपना अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मुंबई बसने के 29 साल बाद भी वे अब तक अपना खुद का घर नहीं ले पाये हैं. मुम्बई के कांदिवली इलाके की की झुग्गी-बस्ती में एक छोटे से घर में अपने परिवार संग गुजारा करनेवाले ओमप्रकाश बताते हैं कमरे का मासिक किराया 7000 रुपये है जिसे वे बड़ी मुश्किल से चुका पाते हैं.
ओमप्रकाश ने बताया कि कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में जब उनकी कमाई पूरी तरह से ठप्प पड़ी हुई थी, उस दौरान भी उनके मकान मालिक ने किराये में एक रुपये की भी कमी नहीं की थी जिससे उनके परिवार की मुश्किलें कई गुना बढ़ गयीं थीं. अब जब सबकुछ धीरे-धीरे सबकुछ खुल रहा है तो भी वो रोजाना बमुश्किल 300 रुपये कमा पाते हैं और ऐसे में उन्हें परिवार के भरण-पोषण में तमाम तरह की दिक्कतें पेश आती हैं.
मान्या सिंह के पिता बताते हैं कि उनकी पत्नी एक हेयर स्टाइलिस्ट का काम करती हैं और हाल ही में उन्होंने काम शुरू किया है. कोरोना महामारी के चलते उनकी तनख्वाह भी कई महीनों से आधी आ रही है. ओमप्रकाश सिंह ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत के दौरान बताया कि कॉलेज जाते वक्त उनकी बेटी मान्या बैग में किताबों के साथ हील भी रखकर ले जाती थी और सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की तैयारियां करती थीं.
ओमप्रकाश बताते हैं, "मैं अपनी बेटी से ऐसा करने के लिए जब मना करता था तो वो हमेशा मुझसे कहती थी कि मैं पढ़ाई के साथ साथ सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेकर एक दिन कुछ बनकर दिखाऊंगी."
मान्या सिंह के पिता कहते हैं, "प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की तैयारियों के दौरान सोशल मीडिया पर बाकी खूबसूरत दिखनेवाली प्रतियोगियों की तुलना में मान्या को अधिक तवज्जो नहीं दी जाती थी और ऐसे में हमेशा मान्या आत्मविश्वास डगमगाया हुआ रहता था. ऐसे मौकों पर मैं हमेशा मान्या की हौसलाअफ़जाई किया करता था और उसकी काबिलियत की सराहना किया करता था." ओमप्रकाश बताते हैं कि पढ़ाई में होशियार होने के साथ साथ मान्या अपने लक्ष्य को लेकर बहुत फोकस रहा करती थी.
मान्या सिंह के पिता को बेटी के सौंदर्य प्रतियोगिता जीतने से इस कदर उम्मीद बंधी है कि उन्हें लगता है कि उसकी शोहरत के बल पर वो जल्द ही मुम्बई में अपना घर लेने का सपना पूरा कर पाएंगे. अब जब मान्या ने सौंदर्य प्रतियोगिता में बाजी मानकर अपनी पहचान बना ली है तो क्या आगे चलकर वे रिक्शा चलाना छोड़ देंगे? एबीपी न्यूज़ के इस सवाल पर ओमप्रकाश सिंह कहते हैं, "नहीं, मैं आगे भी रिक्शा चलाना जारी रखूंगा. यही मेरी रोजी-रोटी है. रिक्शा चलाना मैं कभी भी नहीं छोड़ूंगा."
रिक्शा ड्राइवर की बेटी मान्या सिंह का 'मिस इंडिया' की रनर-अप बनने तक का सफर
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