देश भर में अनलॉक का पहला दौर शुरू हो चुका है जिसमें केंद्र की तरफ से काफी छूट दी गई है. इस बीच दिल्ली सरकार ने दिल्ली वालों को राहत दी है. ई-रिक्शा चालकों के लिए नियम में एक सवारी बिठाने की सीमा को हटा दिया गया. लेकिन उऩकी मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है.


दिल्ली में ऑटो चालकों की मुश्किल बरकरार


दिल्ली में सलून खोलने की छूट के साथ ही ई रिक्शा चालकों को नियमों में ढील दी गई है. ऑटो और ई-रिक्शा पर एक सवारी की पाबन्दी हटाने की सीमा खत्म कर दी गई है मगर सवारियों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने की शर्त को बरकरार रखा गया है. ऑटो चालक मोहम्मद अंसारी कहते हैं, "दिल्ली सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. लेकिन उन्हें सवारियां मिलने में काफी मुश्किल हो रही है. कोरोना के डर के चलते लोग ऑटो या रिक्शा पर सवारी करने से कतरा रहें हैं. इससे ऑटो और ई-रिक्शा चालकों को सवारी मिलने में समस्या आ रही है. लोग अपने वाहन से बाहर निकलने को प्राथमिकता दे रहे हैं या फिर आस पास जाने के लिए पैदल ही चल रहे हैं.


कोरोना के खौफ के चलते सवारी मिलना मुश्किल


लॉक डाउन से पहले एक महीने में जहां उनकी कमाई 15 हजार हो जाती थी अब ये घटकर आधी हो गई है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एक से ज्यादा लोग बैठने में कतरा रहें हैं. लोगों के बीच कोरोना का डर बना हुआ है." ई-रिक्शा चलाने वाले दीपक का हाल भी उनसे मिलता जुलता है. उनका भी यही कहना है कि पहले के मुकाबले सवारियां काफी कम हो गई हैं. उम्मीद है हालात एक बार फिर सामान्य हो जाएं. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के फैसले से ऑटो और ई-रिक्शा चालकों को थोड़ी राहत तो मिली है लेकिन लोगों का डर भी अपनी जगह सही है. ऑटो और रिक्शा जैसे छोटे वाहन पर एक से ज्यादा सवारी बिठाना खतरे से भरा है.


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