एक्सप्लोरर

दंडकारण्य में पतझड़ बना श्राप; 13 साल में 175 जवान शहीद, बड़े नेता भी मारे गए

दंडकारण्य में उच्च स्तर के सागोन पेड़ पाए जाते हैं, जो अमूमन काफी लंबा होता है. वसंत के बाद आने वाला पतझड़ मौसम दंडकारण्य में मार्च से लेकर जून तक चलता है. इस दौरान नक्सली घटनाएं अचानक बढ़ जाती है.

छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य जंगल की धरती एक बार फिर जवानों के खून से लाल हो गई है. बसंत खत्म होने के बाद पतझड़ के मौसम में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में छठवीं बार इस तरह की वारदात को अंजाम दिया है.

दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में बुधवार को घात लगाए नक्सलियों ने डिस्ट्रिक्ट रिजर्व फोर्स (डीआरजी) की गाड़ी को बम से उड़ा दिया. इस हमले में एक ड्राइवर समेत 11 जवान शहीद हो गए. 

पुलिस सूत्रों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि सुरक्षाबलों को दंतेवाड़ा में नक्सलियों के बड़े लीडर होने की सूचना मिली थी. इसके बाद सुरक्षाबलों और डीआरजी के 80 जवान ऑपरेशन के लिए जंगल में घुसे थे. 

सर्चिंग की प्रक्रिया खत्म कर सभी 80 जवान अरनपुर थाने से दंतेवाड़ा लौट रहे थे. एक गाड़ी जैसे ही घात लगाए नक्सलियों के पास से गुजरी, आईईडी ब्लास्ट हो गया. विस्फोट की वजह से वहां की सड़कों पर 15 मीटर का गड्ढा हो गया है.

विस्फोट के बाद नक्सली जंगल की ओर भाग गए. छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुरक्षाबलों के साथ मिलकर पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है. राज्य के 7 जिलों को हाईअलर्ट पर रखा गया है. 

दंडकारण्य में पतझड़ का मौसम क्यों बना श्राप?
92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले दंडकारण्य के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में सीमा पर पूर्वी घाट स्थित है. यह वन छत्तीसगढ़ के बस्तर डिवीजन में आता है. इस डिवीजन में कुल सात जिले- कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर आते हैं.  

दंडकारण्य में उच्च स्तर के सागोन पेड़ पाए जाते हैं, जो अमूमन काफी लंबा होता है. वसंत के बाद आने वाला पतझड़ मौसम दंडकारण्य में मार्च से लेकर जून तक चलता है. इस दौरान नक्सली घटनाएं अचानक बढ़ जाती है. इसकी 2 मुख्य वजह है.

1. पत्ते गिरने की वजह से दृश्यता अधिक हो जाती है, जिस वजह से नक्सली बीच जंगल से ही मुख्य सड़क पर घटना को अंजाम दे देते हैं. नक्सली इस दौरान महुआ और सागोन के पेड़ पर चढ़कर पूरी वारदात की मॉनिटरिंग करते हैं. घटना के बाद पेड़ से उतरकर नक्सली अपने मांद में घुस जाते हैं.

2. पतझड़ होने की वजह से जंगल में हर जगह पर पत्तों का ढेर लगा होता है. नक्सली इसी पत्तों के नीचे विस्फोट रख देते हैं. पत्ते के नीचे विस्फोटक होने के खतरे को देखते हुए सुरक्षाबलों के जवान अपने ऑपरेशन को धीमा कर देते हैं. इस दौरान हाईअलर्ट भी जारी किया जाता है.

पतझड़ में शुरू होता है ऑपरेशन TCOC
नक्सलियों का सबसे बड़ा ऑपरेशन टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (TCOC) हरेक साल मार्च से मई तक ही चलाया जाता है. इस दौरान नक्सली नए लोगों की भर्ती करते हैं और उन्हें हथियार चलाना और ब्लास्ट करना सिखाया जाता है. 

नक्सली टीसीओसी के दौरान सुरक्षाबलों के मुखबिरों को भी मार गिराने की कोशिश करते हैं. फरवरी के महीने में बकायदा नक्सलियों के बड़े लीडर इसके लक्ष्य तय करने के लिए मीटिंग करते हैं. अगस्त में इस अभियान की नक्सली समीक्षा भी करते हैं.

नक्सली के इस अभियान के पीछे बड़ा मकसद अपनी मजबूती दर्ज कराना होता है. नक्सलियों को डर रहता है कि अगर पतझड़ के मौसम में सुरक्षाबलों पर जोरदार अटैक नहीं किया गया तो आस्तित्व पर सवाल उठेगा.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2018 से 2021 तक कुल 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि नक्सलियों के खिलाफ अंतिम दौर में लड़ाई चल रही है, जल्द ही राज्य से नक्सलियों का खात्मा हो जाएगा.

विस्फोट करने का V-शेप कांस्पेट क्या है?
नक्सली अपने स्थानीय इंटेलिजेंस के सहारे पहले सटीक जानकारी जुटाते हैं. जानकारी मिलने के बाद जंगल से गुजर रही पक्की सड़क V प्वॉइंट का खाका तैयार करते हैं. इसी आधार पर सुरक्षाबलों की गाड़ियों को उड़ाया जाता है.

V प्वॉइंट खाका का निचला हिस्सा छोड़ सड़क से 100-150 मीटर दूर स्थित किसी पेड़ के पास होता है, जहां विस्फोट का ट्रिगर रखा जाता है. जैसे ही V शेप के रडार में सुरक्षाबलों की गाड़ियां आती हैं, वैसे ट्रिगर दबा दिया जाता है. ट्रिगर दबने से गाड़ी का अगला या पिछला हिस्सा विस्फोट की चपेट में आता है.

सड़क के नीचे नक्सली भारी मात्रा में बारुद रखते हैं और तार के जरिए उसमें ट्रिगर कनेक्ट करते हैं. हमला करने से पहले इस पूरे प्लान को काफी सावधानी से बनाया जाता है.

पतझड़ में नक्सली वारदात, 13 साल में 175 जवान शहीद
पतझड़ के मौसम में नक्सलियों के हमले की वजह से अब तक 175 जवान शहीद हो चुके हैं. 2010 में सबसे अधिक 76 जवान शहीद हुए थे.

2013 में झीरम घाटी में भी नक्सलियों ने इसी मौसम में हमला किया था. इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई नेताओं की मौत हो गई थी. आइए जानते हैं, 13 साल में नक्सलियों ने पतझड़ के मौसम में कब-कब हमला किया?

6 अप्रैल 2010: दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला माना जाता है. इस हमले में केंद्रीय सुरक्षाबल के 76 जवान शहीद हो गए थे.

25 मई 2013: बस्तर की झीरम घाटी में घात लगाए नक्सलियों ने सभा कर लौट रहे कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 30 लोगों की जान चली गई.

11 मार्च 2014: बस्तर के झीरम घाटी में ही नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के एक कंपनी पर हमला कर दिया. इस हमले में 15 जवान शहीद हुए और एक ग्रामीण की भी मौत हो गई.

12 अप्रैल 2014: लोकसभा चुनाव के दौरान ही बीजापुर और दरभा घाटी आईईडी ब्लास्ट के जरिए नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया. नक्सलियों के इस वारदात में 5 जवान शहीद हो गए, जबकि 9 लोग भी मारे गए.

11 मार्च 2017: सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में गश्त कर रहे जवानों पर लैंडमाइन विस्फोट के जरिए नक्सलियों ने हमला किया. इस हमले में 11 जवान शहीद हो गए, जबकि 25 घायल हुए.

24 अप्रैल 2017: छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुरक्षाबलों के जवान लंच करने के लिए बैठे थे. इसी दौरान नक्सलियों ने हमला बोल दिया. नक्सलियों के इस हमले में 24 ज्यादा जवान शहीद हो गए. जवान सड़क निर्माण की सुरक्षा देने वहां पहुंचे थे. 

9 अप्रैल 2019: लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा जिले के नकुलनार के श्यामगिरी गांव के पास नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट के जरिए बीजेपी विधायक भीमा मंडावी का काफिला उड़ा दिया. इसमें भीमा मंडावी समेत 5 लोगों की मौत हो गई.

22 मार्च 2020: सुकमा के मिनपा जंगल में नक्सलियों ने सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों पर हमला बोल दिया. इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद ही डीआरजी सुर्खियों में आया था. 

23 मार्च 2021: नारायणपुर जिले के धौड़ाई थाना क्षेत्र के कडेनार के पास नक्सलियों ने सुरक्षाबल के जवानों की एक बस को विस्फोटक से उड़ा दिया था. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए.

3 अप्रैल 2021: बीजापुर में 2000 से अधिक सुरक्षाबलों के जवान नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे थे. नक्सलियों ने घात लगाकर एक टुकड़ी पर हमला कर दिया. इस मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए. 25 नक्सली भी मारे गए. 

विस्फोटक का ही उपयोग क्यों कर रहे नक्सली? 
1. नक्सली अब हमला करने के लिए विस्फोटक का ही उपयोग क्यों करते हैं? सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि नक्सलियों के पास आधुनिक बंदूक, राइफल और गोला-बारूद खत्म हो गए हैं, इसलिए वे आमने सामने की लड़ाई करने की बजाय औचक हमला कर रहे हैं. 

2. नक्सली अगर सीधे सुरक्षाबलों पर अटैक करेंगे तो जवाबी कार्रवाई में नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार सुरक्षाबल अधिक संख्या में नक्सलियों को मार गिराते हैं. नक्सलियों को हथियार का भी नुकसान उठाना पड़ता है. इस सबसे बचने के लिए अब नक्सली आईईडी का उपयोग कर रहे हैं.

3. बारूदी सुरंग का पता लगाने की सटीक टेक्नॉलोजी सुरक्षाबलों के पास नहीं है. नक्सली सड़क पर गड्ढा खोदकर या पुल आदि के नीचे इसे छिपा देते हैं और जैसे ही सुरक्षाबलों के वाहन गुजरते हैं, दूर बैठा व्यक्ति उसमें धमाका कर देता है. 

अब जाते-जाते डीआरजी के बारे में जानिए...
डिस्ट्रिक्ट रिजर्व फोर्स (डीआरजी) एक लोकल युवाओं का संगठन होता है. डीआरजी की स्थापना का उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ की मदद करना था.

डीआरजी में उन जवानों को शामिल किया जाता है, जो बस्तर की लोकभाषा जानते हों. साथ ही आदिवासियों और नक्सलियों के बीच नेटवर्क मजबूत रखने का काम भी इन्हीं जवानों को दिया जाता है.

डीआरजी के जवान चूंकि वहां के स्थानीय युवक होते हैं. ऐसे में उन पर नक्सलियों का संदेह भी नहीं जा पाता है. ये जवान नक्सलियों की रणनीति पुलिस तक पहुंचाने का काम तेजी से करते हैं.

डीआरजी में सरेंडर कर चुके नक्सलियों को भी शामिल किया जाता है, जिससे इनपुट आसानी से मिल सके. डीआरजी के जवान जंगल में नक्सलियों की गतिविधि बताने का काम करते हैं.  

2008 में रमन सिंह की सरकार ने इसके गठन को हरी झंडी दी थी. 2014 और 2015 में नक्सल प्रभावित सभी जिलों में इसका विस्तार कर दिया गया. पुलिस की टीम इन जवानों की मॉनिटरिंग करती है.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
दिल्ली में बारिश करा रही सर्दी का एहसास, पारा 5 डिग्री गिरा, 24 सितंबर तक कैसा रहेगा मौसम?
दिल्ली में बारिश करा रही सर्दी का एहसास, पारा 5 डिग्री गिरा, 24 सितंबर तक कैसा रहेगा मौसम?
Salman Khan Airport: हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक; इस दिग्गज के आस-पास भी नहीं सचिन-विराट
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

ABP News: दिल्ली टू मुंबई...गणपति की शानदार विदाईArvind Kejriwal News: सीएम पद छोड़ने के बाद केजरीवाल के लिए बंद हो जाएंगी ये सुविधाएं! | ABP NewsBharat Ki Baat Full Episode: 10 साल का सूखा खत्म हो पाएगा...7 वादों से चुनाव पलट जाएगा? | ABP NewsSandeep Chaudhary: One Nation One Election को लेकर क्या बोले विशेषज्ञ ? | ABP News | NDA | Congress

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
लेबनान में PM और राष्ट्रपति 'कागजी शेर,' असली ताकत कैसे रहती है हिजबुल्लाह के पास? समझिए
दिल्ली में बारिश करा रही सर्दी का एहसास, पारा 5 डिग्री गिरा, 24 सितंबर तक कैसा रहेगा मौसम?
दिल्ली में बारिश करा रही सर्दी का एहसास, पारा 5 डिग्री गिरा, 24 सितंबर तक कैसा रहेगा मौसम?
Salman Khan Airport: हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
हैवी सिक्योरिटी के साथ एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए सलमान खान, दिखा स्टाइलिश अवतार
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक; इस दिग्गज के आस-पास भी नहीं सचिन-विराट
119 साल पहले किया डेब्यू, 29 साल खेला क्रिकेट और जड़ दिए 199 शतक
Video: जब मौत से हुआ सीधा सामना, गलती से भालू की मांद में घुस गया शख्स, देखें दिल दहला देने वाला वीडियो
जब मौत से हुआ सीधा सामना, गलती से भालू की मांद में घुस गया शख्स, देखें दिल दहला देने वाला वीडियो
इंजीनियर को हिंदी में क्या कहते हैं? जान लीजिए जवाब
इंजीनियर को हिंदी में क्या कहते हैं? जान लीजिए जवाब
तेंदुए ने मार दी है आपकी गाय या बकरी तो ऐसे मिलेगा मुआवजा, जान लीजिए तरीका
तेंदुए ने मार दी है आपकी गाय या बकरी तो ऐसे मिलेगा मुआवजा, जान लीजिए तरीका
Edible Oil Rate: त्योहारों में ना बढ़ें खाने के तेल के दाम, सरकार ने कर दिया इसका इंतजाम
त्योहारों में ना बढ़ें खाने के तेल के दाम, सरकार ने कर दिया इसका इंतजाम
Embed widget