शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर कहा है कि धार्मिक इस्लाम को मानने वाले लोग भी यही चाहते हैं कि सच्चाई सामने आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो राजनीतिक इस्लाम को मानते हैं. उन्होंने कहा कि खुदा भी कभी उस नमाज को कुबूल नहीं करेगा, जो कब्जा की गई जमीन पर पढ़ी गई हो. 


अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, 'असली इस्लाम क्या है, ये जो मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, ये राजनीतिक इस्लाम था, धार्मिक इस्लाम नहीं था. धार्मिक इस्लाम ऐसा कभी नहीं कर सकता. किसी की जमीन पर कब्जा करके उस पर अगर नमाज पढ़ी जाए तो जो धार्मिक इस्लाम है, उसके अनुसार खुदा उस नमाज को कभी कुबूल ही नहीं करता है. तो ये राजनीतिक इस्लाम था इसलिए राजनीतिक इस्लाम को मानने वालों को दिक्कत हो सकती है, लेकिन जो धार्मिक इस्लाम को मानने वाले हैं, उनको इसका स्वागत करना चाहिए कि ठीक है जो भी है वो स्पष्ट हो जाए.'


उन्होंने कहा कि इस बात का दुख है, जब पता चलता है कि मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई, हमें लगता है कि हमारे साथ अत्याचार हुआ. मुसलमान लड़के को भी इसी तरह का दुख है. जब वो ये कहानी सुनता है तो उसको लगता है कि हमारे पूर्वज ऐसे अत्याचारी थे क्या या फिर उन्हें इस बात का दुख होता है कि हमारे पूर्वज तो अच्छे थे और उनके बारे में ऐसी बातें कही जा रही हैं. तो वो भी चाहता है कि सच्चाई सामने आ जाए और हम भी यही चाहते हैं.


शंकराचार्य ने आगे कहा, 'हमारी कुछ मुस्लिमों से बात हुई और उन्होंने भी कहा कि हम भी चाहते हैं कि स्पष्टता होनी चाहिए, वरना कौन ये कलंक लेकर रहे. तो जो धार्मिक इस्लाम के लोग हैं उन्हें दिक्कत नहीं है, लेकिन जो राजनीतिक इस्लाम के लोग हैं उनको दिक्कत हो रही है. वो चाहते हैं कि जब हमें जरूरत हो तो भावना भड़का दें और जब जरूरत न हो तो पानी का छींटा डालकर शांत कर दें. ऐसा नहीं होता है.'


उन्होंने यह भी कहा कि सच्चाई छिप नहीं सकती बनावटी उसूलों से खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से, तो जो चीज बनावटी है वो बनावटी ही रहेगी. उन्होंने कहा कि इतिहास में जो सुना है उसी की सच्चाई को परखने के लिए ये सब हो रहा है और एक दिन सच्चाई सबके सामने आ जाएगी. अगर सच्चाई जानने के लिए कुछ प्रयास किए जा रहे हैं तो लोगों को क्यों समस्या है हम समझ नहीं पा रहे हैं. 


मोहन भागवत के बयान को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद सरस्वती ने फिर से कहा कि आरएसएस प्रमुख अपनी सुविधा की बात कर रहे हैं कि जब उन्हें जरूरत थी तो उन्होंने इसको बढ़ा लिया. अब जरूरत नहीं है तो इसको घटा दो. उन्होंने कहा कि पहले सत्ता नहीं थी और वोट लेने थे तो उन्होंने खूब नारे लगाए. अब सत्ता है और जरूरत नहीं है तो चाहते हैं कि इस पर रोक लगा दें. ये तो सुविधा का मामला हो गया न्याय तो सच्चाई देखता है.


शंकराचार्य ने कहा कि मोहन भागवत ने हमारा गलत मूल्यांकन किया कि हम नेता बनना चाहते हैं. हम दुखी हैं कि मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना दी गई, उसके लिए हम आवाज उठा रहा हैं. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत हम हिंदुओं की पीड़ा के साथ खड़े हों तो हमारे हो सकते हैं, जब हिंदुओं की पीड़ा के साथ खड़े ही नहीं होंगे और कहेंगे कि नेता बनने के लिए ये बात उठा रहे हैं. शंकराचार्य ने कहा कि ये कितना गलत है. हम मंदिर पाने के लिए क्यों खड़े हैं कि हमें नेता बनना है इसलिए, कितना गलत मूल्यांकन कर रहे हैं मोहन भागवत जी हमारा. हम इसलिए खड़े हो रहे हैं कि हमें पीड़ा है कि हमारे देवताओं की मूर्तियों और मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना दी गई.


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