अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आए फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष में अयोध्या में जमीन लेने या न लेने पर बहस शुरू हो गई है. एक पक्ष मस्जिद के लिए जमीन लेने के पक्ष में है तो दूसरा पक्ष इसका विरोधी है. 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया था. जिसके बाद इस पर मंथन होने लगा है कि जमीन ली जाए या नहीं. साथ ही इस पर भी विचार किया जा रहा है कि जमीन स्वीकार करने की सूरत में उसकी जगह का कैसे निर्धारण होगा ?


मुस्लिम पक्ष में कौन है तरफदार और कौन है विरोध में


बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से अधिग्रहित 167 एकड़ जमीन में से ही 5 एकड़ मिलना चाहिए. इकबाल अंसारी ने मस्जिद निर्माण के लिए किसी अन्य जगह को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है. जबकि अयोध्या के पार्षद बब्लू खान 14 किलोमीटर दायरे के बाहर भी जमीन लेने के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार जहां जमीन देना चाहती है, उन्हें स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होगी. जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड अभी भी दुविधा में है.


26 नवंबर को बोर्ड की होनेवाली मीटिंग के बाद ही उसका कोई ठोस फैसला सामने आ सकता है. हालांकि बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी भी जमीन लेने के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि जमीन स्वीकार न करने की सूरत में नकारात्मक संदेश जाएगा. वहीं, मुस्लिम एत्तेहादुल मुस्लैमीन के अध्यक्ष असददुद्दीन ओवैसी पहले ही जमीन न लेने की अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने मुस्लिमों को खैरात में जमीन न लेने की बात कही थी.


मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जमीन लेने पर भरी थी हामी 


मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन दिये जाने के फैसले के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर जमीन लेने पर हामी भरी थी. उन्होंने मांग की थी कि जमीन ऐसी जगह पर दी जाए जहां मस्जिद के साथ इस्लामिक यूनिवर्सिटी का निर्माण किया जा सके.