नई दिल्ली: हिन्दू पक्षकारों ने अयोध्या मामले को पांच जजों की बेंच को भेजने का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा इस मसले को बेवजह राजनीतिक और धार्मिक रंग दिया जा रहा है. तीन जजों की बेंच इसे जमीन के विवाद की तरह सुने.
मुस्लिम पक्ष की मांग
दरअसल, मुस्लिम पक्ष ने मामले को पांच जजों की बेंच में भेजने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष के वकील राजू रामचंद्रन ने बाबरी ढांचा गिराए जाने का ज़िक्र करते हुए कहा, "1992 में अयोध्या में जो हुआ, उसका देश पर अब तक असर है. ये मामला राजनीतिक और धार्मिक लिहाज से बेहद संवेदनशील है. इसके फैसले का दूरगामी असर पड़ेगा. इसलिए, इसकी सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ करे."
हिन्दू पक्ष ने किया विरोध
इस मांग का विरोध करते हुए हरीश साल्वे ने कहा, "देश 1992 से आगे बढ़ चुका है. बार-बार उसका जिक्र करने वाले देश को उसी दौर में ले जाना चाहते हैं. मसले को राजनीतिक और धार्मिक रंग देने वाले ऐसी दलीलों को बाहर छोड़कर आएं. कोर्ट इसे ज़मीन विवाद की तरह सुने."
साल्वे ने कहा कि ज़मीन का विवाद कभी भी पांच जजों की बेंच को नहीं भेजा जाता. हिन्दू पक्ष की तरफ से पेश एक और वरिष्ठ वकील के परासरन ने कहा, "इस मामले में कोई गंभीर संवैधानिक सवाल नहीं है. कोर्ट को इस बात के प्रमाण देखने हैं कि ज़मीन पर किस पक्ष का हक है. इस काम के लिए पांच जजों का समय व्यर्थ करना जरूरी नहीं. तीन जज इसे कर सकते हैं."
आठ साल से लंबित है मामला
30 सितंबर 2010 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया था. हाई कोर्ट ने विवादित जगह पर मस्ज़िद से पहले हिन्दू मंदिर होने की बात मानी थी. लेकिन ज़मीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का आदेश दे दिया था. इसके खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. तब से ये मामला लंबित है.
मुस्लिम पक्ष ने 1994 के फैसले को आधार बनाया
मुस्लिम पक्ष मामले को संविधान पीठ के पास भेजने के लिए 1994 में आए इस्माइल फारुखी फैसले को भी आधार बना रहा है. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने माना था कि मस्ज़िद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. उनका कहना है कि ये फैसला अयोध्या पर उनके दावे को कमज़ोर करने वाला है.
अगली सुनवाई 15 मई को
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई 15 मई को दोपहर 2 बजे करने की बात कही. मुस्लिम पक्ष की तरफ से मामले को पांच जजों की बेंच में भेजने की मांग करने वाले राजीव धवन अस्वस्थ होने के चलते आज मौजूद नहीं थे. उस दिन कोर्ट उन्हें अपनी जिरह पूरी करने का मौका देगी.