अयोध्या मामलाः अगर मंदिर में हिंदू पक्ष की आस्था और विश्वास तो मस्जिद में हमारी- मुस्लिम पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलों में कहा कि अगर यह धर्म और आस्था का मामला है तो फिर मुस्लिमों की भी धर्म और आस्था का ध्यान रखा जाना चाहिए.
नई दिल्लीः अयोध्या मामले की सुनवाई का 37 वां दिन खत्म होते-होते मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस गति से सुनवाई चल रही है हम उम्मीद कर सकते हैं कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जाएगी. इसके लिए मुख्य न्यायाधीश ने एक रूपरेखा का भी जिक्र किया कि 14 अक्टूबर तक मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलीलें पूरी हो जाएंगी. 15 और 16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी हो जाएंगी और 17 अक्टूबर को सभी पक्ष कोर्ट को यह बता सकते हैं कि वह किस तरह की राहत की उम्मीद कर रहे हैं. जिसके बाद अदालत अपना आदेश सुरक्षित रख सकती है.
इससे पहले आज की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलें एक बार फिर कोर्ट के सामने रखीं. राजीव धवन ने अपनी दलीलों की शुरुआत यह कहते हुए कि अगर यह धर्म और आस्था का मामला है तो फिर मुस्लिमों की भी धर्म और आस्था का ध्यान रखना चाहिए. राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा कि जब बाबर 1526 में आया था तो उस जगह पर कुछ नहीं था, वहां पर खाली जमीन पड़ी थी और रही बात मस्जिद की तो मस्जिद एक ऐसी जगह हैं जो सीधे अल्लाह से जोड़ती है. इस्लाम में दिन में 5 बार नमाज़ होती है जो अल्लाह से जोड़ती है. मस्जिद अल्लाह का घर है.
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राजीव धवन की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा कि मुस्लिम धर्म में सिर्फ अल्लाह से दुआ करते हैं न कि परमशक्ति के अलग अलग अवतारों के. क्या ये सच नहीं है कि इस्लामिक शिक्षाओं के मुताबिक सिर्फ अल्लाह को ही दिव्य माना गया है, सिर्फ उनकी ही इबादत होती है किसी और की नहीं. ऐसे में किसी और जगह को इस्लामिक मान्यता के हिसाब से क्या पवित्र या दिव्य माना जा सकता है??
जवाब में धवन ने कहा कि एक मस्जिद को हमेशा ही पवित्र और दिव्य जगह माना गया है. ये वो जगह है जहां पर ख़ुदा की इबादत की जाती है .यहां पांचों वक़्त नमाज पढ़ी जाती है. जिस चीज़ के जरिये खुदा की इबादत हो, वो अपने आप में हर चीज़ पवित्र है. अगर सिर्फ आस्था और विश्वास की ही बात है तो मुसलमान भी आस्था और विश्वास रखते हैं इसी वजह से मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ते हैं.
राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा कि ये किसी की दलील नहीं रही कि ज़मीन के नीचे खुदाई से मंदिर का अवशेष मिला. अगर यात्रियों की बात कर विश्वास भी करें तो क्या उन्होंने बताया कि वहां किसी पूजा होती थी क्योंकि मुस्लिम के लिए भी ये एक आस्था और विश्वास की जगह रही है.
धवन ने कहा कि मस्जिद को गिराने कि योजना मार्च 1992 में रची गयी थी जिसे दिसंबर में अंजाम दिया गया, यह एक सोची समझी साजिश थी. धवन ने कहा कि हिंदुओं ने हमारी मस्जिद को गिरा दिया और उल्टा कहा कि हमने उनको प्रताड़ित किया. राजीव धवन ने कहा कि हिंदूपक्ष मुस्लिमों पर साम्प्रदायिक हिंसा के आरोप लगाता रहा है. वो मुस्लिम बादशाहों के हमले और विध्वंस की बात करते है लेकिन 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ, जब बाबरी मस्जिद गिरा दी गई. साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ज़िम्मेदार वो भी हैं और ये कोई मुगल काल की बात तो है नहीं. पहले यही विश्वास था कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं पर हुआ लेकिन हिंदुओं ने याचिका दाखिल कर कहा कि तीन गुम्बद की संरचना के बीच गुम्बद के नीचे भगवान राम का जन्म हुआ, जिसको मुस्लिम ने कहा कि साबित करो, जिनते भी ट्रेवलर गुज़रे सबने कहा कि अयोध्या में मन्दिर था.
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धवन ने कहा कि कोई भी यह दावा खारिज नही कर रहा कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ है. धवन ने कहा कि विवाद इसपर है भगवान राम का जन्म सेंट्रल डोम के नीचे हुआ. राजीव धवन का कहना था कि अगर हिंदू को हमेशा से ही पता था कि राम जन्म स्थान वही है तो उस जगह पर हमेशा तो पूजा क्यों नहीं की गई.
सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते दशहरा की छुट्टी है. लिहाजा अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी और इस दिन भी मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की दलीलें जारी रहेंगी. इसी हफ्ते के आखिरी में 18 अक्टूबर की वो तारीख भी पड़ेगी जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि 18 अक्टूबर के बाद अयोध्या मामले की सुनवाई नहीं होगी और इस हिसाब से अयोध्या मामले में अब सिर्फ 5 दिन की सुनवाई बची है.
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