अयोध्या मामला: निर्मोही अखाड़ा का SC से अनुरोध- फैजाबाद से बाहर हो मध्यस्थता की कार्यवाही
निर्मोही अखाड़ा ने यह भी कहा कि सौहार्दपूर्ण समाधान उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच सीधी बातचीत के जरिये ही संभव होगा.
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मूल वादकारों में से एक निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह मुद्दे की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए मध्यस्थता समिति की कार्यवाही उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से हटाकर, नई दिल्ली या किसी अन्य 'तटस्थ स्थान' पर स्थानांतरित करने पर विचार करे. निर्मोही अखाड़ा ने यह भी कहा कि सौहार्दपूर्ण समाधान उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच सीधी बातचीत के जरिये ही संभव होगा.
इसके अलावा उसने शीर्ष अदालत के दो और सेवानिवृत्त जजों को मध्यस्थता पैनल में नियुक्त करने का अनुरोध किया है. यह समिति भूमि विवाद के सर्वमान्य समाधान की संभावना तलाश रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने आठ मार्च को भूमि विवाद मामले को इसका सर्वमान्य समाधान तलाशने के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली एक समिति के पास मध्यस्थता के लिये भेज दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता की कार्यवाही फैजाबाद में होगी पीठ ने कहा था कि आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू मध्यस्थता समिति के सदस्य होंगे. कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता की कार्यवाही फैजाबाद में होगी. निर्मोही अखाड़ा ने 25 मार्च, 2019 के अपने आवेदन में कहा है कि भूमि पर स्वामित्व का दावा कर रहे मूल पक्षकारों- पंच रामानंदी निर्मोही अखाड़ा अयोध्या और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड- को मध्यस्थों के पैनल के तत्वावधान में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. उन्हें मध्यस्थों को इसके लिये लिखित रूप में प्रस्ताव देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये.
इसके अलावा, आवेदन में कहा गया है, ''इस मुद्दे की संवेदनशील प्रकृति, और अन्य स्थानीय दबावों के कारण, यह अदालत फैजाबाद से नई दिल्ली या किसी अन्य तटस्थ स्थान पर मध्यस्थता कार्यवाही को स्थानांतरित करने पर विचार कर सकती है, जहां संबंधित पक्षों और उनके प्रतिनिधियों को पर्याप्त और वास्तविक सुरक्षा प्रदान की जा सके, ताकि वे बिना किसी खतरे, अनुनय या बाधा के कार्यवाही में भाग लेने में सक्षम हो सकें.'' आवेदन में कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा ने 13 मार्च को मध्यस्थता पैनल के समक्ष कार्यवाही में भाग लिया था.
मध्यस्थता पैनल की कार्यवाही 27-29 मार्च तक होनी निर्धारित है आवेदन में कहा गया है कि मध्यस्थता पैनल की कार्यवाही 27-29 मार्च तक होनी निर्धारित है. आवेदन में यह भी कहा गया है कि भगवान राम लला के साथ-साथ राम जन्मभूमि के हित का खयाल निर्मोही अखाड़ा अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के अनुसार रखता रहा है और जारी रखे हुए है. उसने कहा कि वहां किसी भी श्रद्धालु को पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं किया गया है.
इसमें कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा ने मध्यस्थता के लिए शीर्ष अदालत के सुझाव का स्वागत किया था. आवेदन में कहा गया है, ''हालांकि, यह कहा जाता है कि कोई भी सौहार्दपूर्ण समाधान केवल तभी संभव होगा, जब उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और पंच रामानंदी निर्मोही अखाड़ा अयोध्या के बीच सीधा संवाद हो.'' शीर्ष अदालत ने 8 मार्च के आदेश में कहा था कि मध्यस्थता प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी और पैनल चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.
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