नई दिल्ली: अयोध्या मामले की सुनवाई आज खत्म हो सकती है. चीफ जस्टिस ने मंगलवार को सभी पक्षों से कहा कि कल यानी बुधवार तक वे अपनी जिरह पूरी कर लें. इसे एक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि आज का दिन अयोध्या मामले की सुनवाई का आखिरी दिन हो सकता है. अब सवाल ये है कि आज की सुनवाई में क्या-क्या हो सकता है. बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का 39वां दिन था.
आज की सुनवाई में क्या-क्या हो सकता है?
* सभी मुख्य पक्षों को जिरह पूरी करने के लिए जो समय दिया गया है उसमें साढ़े तीन से चार घंटे का वक्त लग सकता है.
* ऐसे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी राहत के बारे में चर्चा के लिए डेढ़ से दो घंटे होंगे.
* अगर यह भी इतने समय में पूरा हो गया और लंबे समय से अपनी बात रखने की प्रतीक्षा कर रहे छोटे पक्षों को कोर्ट ने मौका दिया और उनकी भी बात आज पूरी हो गई तो सुनवाई आज ही खत्म हो सकती है.
* थोड़ी संभावना इस बात की है कि सुनवाई कल यानी गुरुवार को भी कुछ समय चले. हालांकि, इसका पता आज की सुनवाई के बाद ही चलेगा. अभी ज़्यादा गुंजाइश इसी बात की लग रही है कि सुनवाई आज पूरी हो सकती है.
39वें दिन हुई तीखी बहस
सुप्रीम कोर्ट में 39वें दिन की बहस के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पूर्व महान्यायवादी और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण की दलीलें सुन रही थी. वह 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे, ताकि अयोध्या में विवादित स्थल पर दावा किया जा सके.
राम की जन्मभूमि पर मस्जिद का निर्माण ऐतिहासिक गलती, इसे ठीक करने की जरुरत- परासरण
39वें दिन परासरण ने अपनी दलील में कहा कि मुगल सम्राट बाबर ने 433 साल से अधिक समय पहले भारत पर विजय के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण कर एक ऐतिहासिक गलती की थी, जिसे अब ठीक करने की जरूरत है. इस पर मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन उठे और हस्तक्षेप किया. धवन ने जस्टिस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर की पीठ से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक नई दलील है. उनके द्वारा अन्य मुकदमों में भी यह तर्क दिया जा सकता था. मैं प्रत्युत्तर देने का हकदार हूं.’’
इस पर पारासरण ने एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन के साथ आपत्ति जताई कि दूसरे पक्ष की तरफ से बहुत रोकटोक हो रही है और कोर्ट को सही व्यवस्था बनानी चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक अधिकार का मामला है. पीठ ने कहा कि धवन को प्रत्युत्तर देने की अनुमति दी जाएगी.
'...वह कैसे कह सकते हैं कि मैं टीका-टिप्पणी कर रहा हूं'
इससे पहले जब वैद्यनाथन महंत सुरेश दास की तरफ से दलील दे रहे थे, तब दूसरे पक्ष के वकीलों की तरफ से टोकने पर उन्होंने कहा, “इस तरह लगातार टीका-टिप्पणी के बीच बहस नहीं कर सकता हूं.” उनके ऐसा कहने पर धवन ने तेज आवाज में कहा, “ये सब क्या है. वह कैसे कह सकते हैं कि मैं टीका-टिप्पणी कर रहा हूं.”
धवन ने चिल्लाकर कहा, “इसे बंद कीजिए” और इस पर वैद्यनाथन की तरफ से भी तीखी टिप्पणी आई. वैद्यनाथन ने कहा, “ये (धवन) मुझसे ऐसा कैसे कह सकते हैं” और उन्होंने कोर्ट से इस बात को संज्ञान में लेने के लिए कहा. मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें शांत करने की कोशिश की और कहा कि “ये व्यवधान हैं ... आप (वैद्यनाथन) देखें, आप कितने उत्तेजित दिख रहे हैं.”
इसके बाद जब धवन ने एक बार फिर वैद्यनाथन की दलील के बीच में टिप्पणी की तो कोर्ट ने उन्हें चुप करा दिया. पीठ 39वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा, “कल 40वां दिन होगा और हम चाहते हैं कि यह (दलील) पूरी हो जाए.”
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