लखनऊ: अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के आपराधिक मामले में शनिवार को महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चपंत राय बंसल और धर्मदास ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (अयोध्या प्रकरण) में आत्मसमर्पण कर दिया. स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. इन्हें 20 हजार रुपये की जमानत और इनती ही धनराशि का निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया.


सुप्रीम कोर्ट द्वारा 19 अप्रैल को पारित आदेश के बाद अयोध्या प्रकरण की स्पेशल कोर्ट ने छह आरोपी को तलब किया था. स्पेशल कोर्ट के इसी आदेश के अनुपालन में आज इन पांच आरोपियों ने आत्मसमर्पण किया जबकि एक आरोपी डा. सतीश प्रधान हाजिर नहीं हो सके.


सीबीआई के विशेष वकील आर के यादव, पूर्णनेन्दु चक्रवर्ती और ललित सिंह के मुताबिक अब मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी. गौरतलब है कि दो दिंसबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी.


सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए थे. बालासाहेब ठाकरे, कल्याण सिंह, महंत परमहंस रामचंद दासजी, महंत अवैद्यनाथ, महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, सतीश नागर, मोरेसर सवे, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल और महामंडलेश्वर जगदीश मुनि जी महाराज समेत कुल 13 आरोपियों को कोर्ट ने आरोप के स्तर पर ही बरी कर दिया था.


इस आदेश को सीबीआई की तरफ से पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (अयोध्या प्रकरण) में फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी आर एन श्रीवास्तव, जयभान सिंह पवैया, आचार्य धमेंद्र देव और सुधीर कक्कड़ समेत कुल 28 आरोपियों के मुकदमे की कार्यवाही शुरु हो गई.


हालांकि अब तक इनमें से छह मुल्जिमों की मुकदमे के दौरान ही मौत हो चुकी है. बचे आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती, विहिप के चेयरमैन अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी रितंभरा समेत आठ मुल्जिमों के मामले की कार्यवाही रायबरेली की स्पेशल कोर्ट में चलने लगी. इनमें अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर का निधन हो चुका है.


सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को सीबीआई की विचाराधीन एसएलपी का निपटारा करते हुए विस्तृत आदेश पारित किया. कोर्ट ने रायबरेली की स्पेशल कोर्ट में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (अयोध्या प्रकरण) में ट्रांसफर कर दिया.


कोर्ट ने कहा कि लखनऊ की स्पेशल कोर्ट दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर दो साल में मुकदमे का निस्तारण करेगी. सीबीआई के विशेष वकील पूर्णनेन्दु चक्रवर्ती के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही स्पेशल कोर्ट से आरोप के स्तर पर ही बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया.


सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के अनुपालन में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (अयोध्या प्रकरण) ने आरोपियों को तलब किया था.