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अयोध्या विवाद: राम मंदिर के लिए फॉर्मूलों पर क्यों नहीं बनी बात?
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए कई पक्षों ने फॉर्मूले दिए थे, लेकिन इन फॉर्मूलों पर किसी भी पक्ष की सहमति नहीं बनी. फिलहाल सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं.
नई दिल्ली: अयोध्या विवाद मामले पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है. अयोध्या विवाद को सुलझाने की कोशिश कोर्ट के बाहर कई बार की गई. इसके लिए कई फॉर्मूले लाए गए, लेकिन हर फॉर्मूला फेल होता रहा. सभी पक्षों में कभी भी किसी भी फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई.
विवाद सुलझाने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी का फॉर्मूला
अय़ोध्या विवाद को सुलझाने के लिए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक फॉर्मूला दिया था. इनका फार्मूला ये था कि विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और सरयू नदी के उस पार मुस्लिम मस्जिद बना लें.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज का फॉर्मूला
इसके अलावा लंबे वक्त से विवाद को सुलझाने के लिए काम कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही रिटायर्ड जज पलोक बसु ने भी विवाद को सुलझाने के लिए फॉर्मूला दिया था. इनके मुताबिक जो हिस्सा राम लला विराजमान को मिला है उस पर राम मंदिर बनाया जाए. बाकी जमीन निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास रहे, लेकिन शर्त ये रहे कि मुस्लिम पक्ष उस पर कोई निर्माण नहीं करेगा. मुस्लिम पक्ष 200 मीटर दूर ‘युसूफ की आरा मशीन’ की जमीन पर मस्जिद बनाए. लेकिन जस्टिस बसु के इस फॉर्मूले पर ज्यादातर हिंदू संगठन और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी एकमत नहीं हैं.
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अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत और हाशिम अंसारी का फॉर्मूला
इसके अलावा एक फॉर्मूले पर भी चर्चा हुई थी. इसे अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत ज्ञान दास और अयोध्या केस के पक्षकार हाशिम अंसारी ने मिलकर बनाया था. इस फॉर्मूले के मुताबिक, विवादित परिसर में मंदिर और मस्जिद दोनों बने लेकिन उनको 100 फुट ऊंची दीवार से बांट दिया जाए. लेकिन ये फॉर्मूला हाशिम अंसारी के निधन के बाद ठंडे बस्ते में चला गया.
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श्री श्री रविशंकर का फॉर्मूला
हाल ही में ताजा फॉर्मूला अयोध्या मामले में मध्यस्थता करने की पहल करने वाले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की तरफ से आया था. इस फॉर्मूले के मुताबिक, विवादित जगह पर राम मंदिर बने और मस्जिद अयोध्या में ही कहीं और बनाई जाए.
शिया वक्फ बोर्ड का फॉर्मूला
एक फॉर्मूला शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से भी आया. इसके मुताबिक अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ में बने. रविशंकर और शिया वक्फ बोर्ड के फॉर्मूला भी किसी पक्ष को मंजूर नहीं. फिलहाल सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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