नई दिल्ली: "अयोध्या मामला एक ज़मीन विवाद है, हम इसे उसी तरह देखेंगे." सुप्रीम कोर्ट ने आज ये अहम टिप्पणी की. इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. ये माना जा रहा था कि आज सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले की लगातार सुनवाई की तारीख तय करेगा. मामले में ज़रूरी दस्तावेजों के अनुवाद और उन्हें रिकॉर्ड पर लेने का काम पूरा हो जाने के चलते इस बात की उम्मीद थी. लेकिन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने उन किताबों का अनुवाद मांग लिया, जिनके अंश हिन्दू पक्ष अपनी दलीलों के दौरान पढ़ेगा.


इस मांग के चलते चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और एस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने सुनवाई टाल दी. कोर्ट ने हिन्दू पक्ष से कहा कि वो गीता, रामचरितमानस, पुराण, उपनिषद जैसे ग्रंथों के जिन हिस्सों को कोर्ट में रखना चाहता है, उनका अंग्रेज़ी अनुवाद मुस्लिम पक्ष को दें.


लगातार सुनवाई पर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा


इस बीच एक मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से मांग की कि मामले को लगातार सुना जाए. धवन ने कहा कि जिन दिनों में ये सुनवाई हो, उस दौरान कोर्ट कोई और दूसरा मामला न देखे. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "सैकड़ों लोगों की याचिकाएं हमारे पास लंबित हैं. सबको इंसाफ की उम्मीद है."


कई पक्षों के वकीलों का कहना है कि वो 14 मार्च को एक बार फिर जजों से लगातार सुनवाई की मांग करेंगे. अब तक इस मामले को सुन रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में अगर कोर्ट अगर लगातार सुनवाई शुरू करता है तो मामले का फैसला सितंबर के अंत तक आ सकता है.


आज शांत रहा कोर्ट का माहौल


5 दिसंबर को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने सुनवाई टालने की मांग करते हुए काफी तीखी बहस की थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई अगले लोकसभा चुनाव के बाद, जुलाई 2019 में करने की मांग कर दी थी. इस मसले पर हुए ज़बरदस्त राजनीतिक विवाद के बाद आज कपिल सिब्बल सुनवाई से दूर रहे. सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से एजाज़ मकबूल ने दलीलें रखीं.