नई दिल्ली: अयोध्या के विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कुछ नाराजगी जताई. उसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या सुन्नी वक्फ बोर्ड शीर्ष अदालत में फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार याचिका) दाखिल करेगा? सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि हम पहले 1045 पन्नों के फैसले को पढ़ेंगे, फिर पुनर्विचार याचिका को लेकर फैसला लेंगे.


उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने कहा, ''हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं और स्वागत करते हैं. मैं यह साफ कर देना चाहता हैं कि यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगा.''


उन्होंने कहा, ''पांच एकड़ की ज़मीन हमने मांगी नहीं थी और जो ज़मीन मिली है उसपर हम चर्चा करेंगे कि लेना है या नहीं.'' फारूकी ने असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर कहा न तो तो कोर्ट का हिस्सा हैं और न ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड से जुड़े हुए हैं इसलिए वो क्या कहते हैं इसपर बात करना ठीक नहीं है.


इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जीलानी ने कहा था, ‘‘फैसले का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है, इसमें कई विरोधाभास हैं.’’


सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि नई मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आबंटित किया जाए.


पांच जजों की पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाए, जो इस मामले में एक वादकारी हैं. यानि अब अयोध्या में राम मंदिर बनेगा.


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