अयोध्या: तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास आज से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. परमहंस दास आमरण अनशन कर सरकार से भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं. साथ ही उनकी मांग है कि मुस्लिमों की नागरिकता को खत्म कर दी जाए. यही नहीं, परमहंस दास ने मुस्लिमों को पाकिस्तान-बांग्लादेश भेजे जाने और पाकिस्तान-बांग्लादेश के हिंदुओं को वापस भारत लाने की भी मांग की है. परमहंस दास पहले भी राम जन्मभूमि के लिए कई दिनों तक आमरण अनशन कर चुके हैं.
कौन हैं परमहंस दास
परमहंस दास अयोध्या के रहने वाले हैं. वह तपस्वी छावनी के महंत हैं. अल्पसंख्यकों पर अपने बयानों को लेकर वह अक्सर चर्चा में रहे हैं. अक्टूबर 2018 में संत परमहंस ने राम जन्मभूमि के लिए कई दिनों तक आमरण अनशन किया था. 1 अक्टूबर 2018 को वह अन्न जल त्याग कर धरने पर बैठे थे. कई बार प्रशासन की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिश की गई थी लेकिन बात नहीं बनी थी. इसके बाद पुलिस ने अनशन के सातवें दिन उन्हें जबरदस्ती बलपूर्वक बीमारी का हवाला देकर उठा लिया.
आमरण अनशन का एलान करके सरकार प्रशासन की नींद उड़ा रखी थी जिसकी वजह से प्रशासन की काफी हलकान रहा और उनको मनाने की कोशिश करता रहा कि वह किसी भी तरह से अपना धरना खत्म कर दें. कई बार प्रशासनिक अमले ने भी उनको बहुत मनाने कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी और आज जब फैजाबाद के प्रभारी मंत्री सतीश महाना आए जब वो भी उन्हें मनाने में असफल रहे तो उनके जाने के बाद श्री परमहंस को पुलिस ने जबरन धरना स्थल से बीमारी का बहाना देकर उठा लिया था और पीजीआई में भर्ती कराया था. जहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपने आवास पर बुलाकर जूस पिलाते हुए अनशन खत्म कराया था.
चिता बनाकर आत्मदाह करने का किया था ऐलान
इसके बाद परमहंस दास ने तपस्वी छावनी मंदिर पर बाबर विचारधारा विध्वंस महायज्ञ का ऐलान किया था. छह दिसंबर को दोपहर 12 बजे अपनी चिता बनाकर आत्मदाह करने के निर्णय पर वह अटल थे. राम मंदिर निर्माण की मांग पर कोई निर्णय नहीं होने से नाराज महंत परमहंस दास ने आत्मदाह करने की घोषणा की थी. लेकिन इससे दो दिन पहले ही परमहंस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें सीजीएम कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सीजेएम ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था.
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