Ayodhya Mandir Ram Sita Idols: अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य लगातार जारी है. सरकार की योजना के मुताबिक, 2024 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाना है. वहीं, मंदिर निर्माण ट्रस्ट के मुताबिक, दिसंबर 2023 तक इसका निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम और माता सीता की मूर्ति की स्थापना की जाएगी. राम-सीता की मूर्तियां किस पत्थर से बनेंगी, यह चुनौती निर्माण कार्य में जुटे अधिकारियों के सामने थी, जिसे हल कर लिया गया है. 


इस पत्थर से बनेगी राम लला और माता सीता की मूर्ति


हिंदू धर्म में कई पत्थरों को शुभ माना गया है लेकिन कौन सा पत्थर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति के लिए उचित रहेगा, इसका निश्चय किया गया और पत्थर की तलाश शुरू की गई. 


राम जन्‍मभूमि मंदिर निर्माण समिति के मुताबिक, अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह के लिए भगवान राम और माता सीता की मूर्ति पवित्र और चमत्कारी माने जाने वाले शालिग्राम पत्थर से बनाई जाएगी. इस पत्थर की तलाश में महीनों से एक टीम जुटी थी. बता दें कि असली शालिग्राम पत्थर मिलना आसान नहीं है. बहुत से लोग असली के चक्कर में नकली पत्थर ले आते हैं. भगवान राम और माता सीता की मूर्ति बनाने के लिए 600 साल पुराने शालिग्राम पत्थर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पत्थर की उम्र एक लाख साल आंकी गई है.


राम-सीता की मूर्ति के लिए यहां से लाया जा रहा है शालिग्राम पत्थर


बताया जा रहा है कि गर्भगृह में स्थापित की जाने वाली राम-सीता की मूर्ति के लिए शालिग्राम पत्थर नेपाल से अयोध्या लाया जा रहा है. नेपाल में काली गंडकी नाम की एक नदी है. मूर्तियों के लिए इस नदी से दो बड़ी शालिग्राम शिलाओं को निकाला गया है. दोनों शिलाओं का वजन क्रमश: 26 और 14 टन है. पत्थर लगभग सात फुट लंबे और पांच फुट चौड़े हैं. इन पत्थरों को तराश कर राम लला के बाल्‍य रूप के विग्रह और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएगी. 


क्या होता है शालिग्राम पत्थर?


बताया जाता है कि शालिग्राम पत्थर नेपाल की काली गंडकी नदी और इसके आसपास के क्षेत्र में मिलता है. आम तौर पर यह मुक्तिनाथ काली गंडकी नदी के तट पर मिलता है. जानकार लोग ही असली शालिग्राम पत्थर की पहचान कर पाते हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से शालिग्राम पत्थर एक तरह का जीवाश्म होता है. ये पत्थर एक या दो नहीं, बल्कि 33 प्रकार के होते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, शालिग्राम पत्थर भगवान विष्णु का प्रतिनिधि होता है. शैव मत के लोग भी शालिग्राम की पूजा शिवलिंग के रूप में करते हैं.


यह भी पढ़ें- धीरेंद्र शास्त्री करते हैं चमत्कार या फैलाते हैं अंधविश्वास, जानिए क्या कहना है पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण का