Ram Mandir: सोने-चांदी के इस छेनी-हथौड़े से बनाई गई थी रामलला की प्रतिमा, योगीराज ने शेयर की है तस्वीर
Ram Mandir Ayodhya: बता दें कि योगीराज ने रामलला की प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई है वह काले रंग की है और एक ही पत्थर की है. इसमें कहीं से कोई भी पत्थर या हिस्सा नहीं जोड़ा गया है.
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Ayodhya Ram Mandir Idol: अयोध्या में राम मंदिर के लिए 5 साल के रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगिराज एक बार फिर चर्चा में है. दरअसल, अरुण योगिराज ने शनिवार (10 फरवरी) को सोशल मीडिया पर चांदी के एक हथौड़ा और सोने की छेनी की एक तस्वीर पोस्ट की, जिससे वह रामलला की प्रतिमा के लिए "दिव्य आंखों'' की नक्काशी करते थे.
इन तस्वीरों को एक्स (पहले ट्विटर) पर शेयर करते योगिराज ने लिखा, "इस चांदी के हथौड़े और गोल्डन छेनी का इस्तेमाल कर मैंने रामलला की दिव्य आंखों को उकेरा है." योगिराज की ओर से बनाई गई रामलला की मूर्ति मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान है.
कॉरपोरेट नौकरी छोड़कर बनाने लगे मूर्ति
योगिराज लंबे समय से यह काम कर रहे हैं. इन्होंने अपना एमबीए पूरा करने के बाद कुछ दिन तक एक कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी की. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने पेशे को बदलने का फैसला किया और अपने पूर्वजों के नक्शेकदम पर चलते हुए मूर्तिकार बन गए. वह 2008 से इस काम को कर रहे हैं.
मूर्ति के लिए योगिराज को लगातार मिल रही प्रशंसा
योगिराज ने रामलला की जो प्रतिमाण बनाई है. उस प्रतिमा की आंखों से पर्दा प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ही हटाया गया था. तभी दुनिया ने पहली बार रामलला की आंखें देखी थीं. इस मूर्ति के लिए योगिराज की लगातार तारीफ हो रही है.
Thought of sharing this Silver hammer with the golden chisel using which I carved the divine eyes (Netronmilana )of Ram lalla, Ayodhya pic.twitter.com/95HNiU5mVV
— Arun Yogiraj (@yogiraj_arun) February 10, 2024
कर्नाटक के काले पत्थर से बनी है प्रतिमा
बता दें कि योगिराज ने रामलला की प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई है वह काले रंग की है और एक ही पत्थर की है. इसमें कहीं से कोई भी पत्थर या हिस्सा नहीं जोड़ा गया है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और उडुपी के संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी ने बताया कि अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा को कर्नाटक के काले पत्थर से तैयार किया है. इसे करकला के नेल्लिकारू गांव से अयोध्या ले जाया गया था. इस पत्थर को पवित्र माना जाता है, इसलिए साउथ इंडिया में इसी से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं.
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