Raju Das On Ram Lalla Pran Pratishtha: अयोध्या में सोमवार (22 जनवरी) को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई और वो राम मंदिर में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं. ये वो मौका था जब कई संतों समेत लोगों को भावुक होते हुए भी देखा गया. इसमें हनुमानगढ़ी के संत राजू दास भी शामिल थे. उनका कहना है कि उस पल को शब्दों में बयां करना बहुत ही मुश्किल है.


उन्होंने कहा, “सिर्फ मंदिर का ही निर्माण नहीं हुआ है, पूरे राष्ट्र की दोबारा स्थापना हुई है. सनातन संस्कृति सिखाती है वसुधैव कुटुंबकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, उस संस्कृति की स्थापना देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उनके कर कमलों द्वारा और देश के अलग-अलग संप्रदाय के विद्वानों और संतों के चरणों में बैठकर किया गया है. अब नकारात्मक बात नहीं करनी. सिर्फ सकारात्मक बात करनी है.”


‘सनातन संस्कृति सभी को गले लगाती है’


राजू दास ने कहा, “अब भारत उस पायदान पर पहुंच रहा है. जिसकी इच्छा 140 करोड़ देशवासियों की थी. सनातन ही एक ऐसी संस्कृति है जो सभी को गले लगाती है और सभी को फलने फूलने का अधिकार देता है. जब ये प्रभावशाली रहेगा और शक्तिमान रहेगा और जो अन्य धर्मों को मानने वालों को सिर्फ सनातन ही अपने साथ मिलाता है.”


‘सिर्फ एक व्यक्ति नहीं... पूरा परिसर’


प्राण प्रतिष्ठा के उस पल को याद करते हुए हनुमानगढ़ी के संत ने कहा, “कल आंसू ही नहीं रुक रहे थे. कल की तो बात ही न कीजिए. कल जैसे ही पर्दा खुला… सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं पूरा परिसर... जो दूसरों को शिक्षा देने वाले महान संत भी भावुक थे. उस समय की कल्पना को बोला नहीं जा सकता. हमने वो दिन भी देखे हैं जब कारसेवकों की हत्या हुई तो उन्हें उठाया. हमने वो दिन भी देखा जब 84 कोसी परिक्रमा करनी थी उस पर बैन लगा. जब बात करते थे तो लोग कहते थे कि ये तो सांप्रदायिक शक्ति हैं.”


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