Ram Mandir Inauguration: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने पर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.
भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, "जिन्हें श्रीराम के अस्तित्व पर ही विश्वास नहीं, उनसे और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है." वहीं, इस मामले में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "वे (कांग्रेस नेता) अपनी बयानबाजी में फंसे हुए हैं. वह जो कह रहे हैं, कहने दीजिए. उन्हें गंभीरता से क्यों लें? अगर वे नहीं जाएंगे तो उन्हें खुद ही पछतावा होगा."
स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस को राम विरोधी बताया. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "कांग्रेस पार्टी का राम विरोधी चेहरा देश के सामने आ गया. इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं है." उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में जिस पार्टी ने अदालत के समक्ष हलफनामा दायर किया था कि भगवान राम काल्पनिक हैं, उसके नेतृत्व ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व में INDI गठबंधन ने बार-बार सनातन धर्म का अपमान किया है. अब उनके नेताओं के प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करना उनकी सनातन विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को कांग्रेस ने बताया बीजेपी का इवेंट
इससे पहले कांग्रेस ने 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का इवेंट बताया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार (10 जनवरी) को कहा कि समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी शिरकत नहीं करेंगे. इतना ही नहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे.
धर्म व्यक्तिगत मामला
कांग्रेस महासचिव ने अपने बयान में कहा कि पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण मिला था. भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं. धर्म इंसान का व्यक्तिगत मामला है, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया.
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