Ram Mandir Inauguration: ‘मुझे निमंत्रण नहीं मिला लेकिन...’ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर बीजेपी पर हमलावर हुए शशि थरूर
Ram Mandir Pran Pratishtha: आने वाले कुछ दिनों में राम मंदिर बनने के बाद इसका उद्घाटन 22 जनवरी को होने जा रहा है. इस भव्य कार्यक्रम को लेकर विपक्ष सवाल भी उठा रहा है.
Ram Mandir Opening: 22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है. मामले पर कांग्रेस सांसद और दिग्गज नेता शशि थरूर ने कहा कि मंदिर किसी सरकार का मामला नहीं है बल्कि वो धर्म को एक व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखते हैं न कि राजनीतिक दुरुपयोग के लिए.
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “प्रेस ने मुझसे पूछा कि क्या मैं 22 जनवरी को अयोध्या जा रहा हूं या नहीं. मैंने उनसे कहा कि मुझे इन्विटेशन नहीं मिला है. मैंने धर्म को एक व्यक्तिगत विशेषता के रूप में देखा न कि राजनीतिक (गलत) उपयोग के रूप में.”
'राम मंदिर से राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं'
उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बिना आगे लिखा, “मैंने ये भी बताया कि जिस घटना के बारे में पहले से ही कुछ समय से पता है, उसे इतनी बड़ी खबर बनाकर मीडिया उन लोगों के हाथों में खेल रहा जो अपने शासन की विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाते हुए राम मंदिर से राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं. मंदिर सरकार के मामले नहीं होते बल्कि बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, लोक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले सरकार के हैं. लेकिन मीडिया मंदिर के मुद्दे पर सवाल करके उन मुद्दों से ध्यान हटाने का काम करता है.”
'कभी कभार मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहिए'
इसके अलावा कांग्रेस के दूसरे नेता सैम पित्रोदा ने कहा कि धर्म को राजनीति के साथ नहीं जोड़ना चाहिए. समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे किसी धर्म से कोई दिक्कत नहीं है. कभी कभार मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहिए लेकिन आप उसे एक प्रमुख मंच नहीं बना सकते. 40 प्रतिशत लोग बीजेपी को वोट करते हैं और 60 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं करते. वो हर किसी के प्रधानमंत्री हैं न कि किसी पार्टी के और यही मैसेज भारत के लोग उनसे चाहते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, “रोजगार के बारे में बात करें, मुद्रास्फीति के बारे में बात करें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और चुनौतियों के बारे में बात करें. उन्हें (लोगों को) तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोजगारी एक वास्तविक मुद्दा है. क्या राम मंदिर असली मुद्दा है या महंगाई असली मुद्दा है?”