Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. अगले दिन (23 जनवरी) से श्रद्धालु बड़ी संख्या में प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के दर्शन को पहुंच रहे हैं. श्रीरामलला के वस्त्र-आभूषणों का निर्धारण, चयन और उनका निर्माण बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से किया गया है. इसमें परंपरा का भी बेहद बारीकी के साथ अनुपालन किया गया है.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय की ओर से श्रीरामलला के वस्त्र व आभूषण तैयार कराने के सभी कार्य का जिम्मा अयोध्या संस्कृति के जानकार और लेखक यतीन्द्र मिश्र को सौंपा गया था. मिश्र ने अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरितमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के उपरांत ही श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में 5 वर्ष के बाल स्वरूप में प्रतिष्ठित किए गए प्रभु श्रीरामलला के आभूषणों की परिकल्पना करते हुए इनका निर्माण कराया.
इन आभूषणों को तैयार करने का काम अंकुर आनंद के संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स, लखनऊ की ओर से किया गया. रामलला के सभी आभूषण 22 कैरेट स्वर्ण से निर्मित किए गए हैं.
वस्त्रों पर असली सोने की जरी और तारों से किया काम
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पर 22 जनवरी को भगवान श्रीरामलला को बनारसी कपड़े की पीताम्बर धोती व लाल रंग के पटुके/अंगवस्त्रम से सुशोभित किया गया था. इन वस्त्रों पर असली सोने की जरी और तारों से काम किया गया है जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह-शंख, पद्म, चक्र और मयूर को अंकित किया गया. इन वस्त्रों को तैयार करने का काम श्री अयोध्याधाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार (डिजाइनर) मनीष त्रिपाठी ने किया.
स्वर्ण व रत्नजड़ित मुकुट का वजन 1700 ग्राम
भगवान श्रीरामलला को धारण कराए गए आभूषणों की बात करें तो शीश पर सुशोभित मुकुट या किरीट उत्तर भारतीय परंपरा में स्वर्ण निर्मित है जिसका माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं. दायीं तरु मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं. मुकुट का वजन करीब 1700 ग्राम है जिसमें 75 कैरेट हीरे, 135 कैरेट के पन्ने एवं 262 कैरेट माणिक्य लगाए गए हैं. पीछे का आभा मण्डल 500 ग्राम का है.
अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सोने का बना
भगवान के कर्ण आभूषणों में मयूर आकृतियां बनी हैं जिसमें सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़ित हैं. इसी तरह से गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सोने का बना है जिसमें हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़ित हैं. कण्ठ के नीचे पन्ने की लड़ियां भी लगाई गई हैं.
शास्त्र विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार ह्रदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. भगवान श्रीरामलला को भी इसको धारण कराया है जिसको एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है.
देवता अलंकरण में विशेष महत्व रखने वाला 5 लड़ियों वाला हीरे व पन्ने का पंचलड़ा 'पदिक' पहनाया गया है जिसको एक बड़े अलंकृत पेंडेंट के साथ तैयार करने के बाद धारण कराया गया.
वैजयंती या विजयमाल सबसे लंबा व स्वर्ण निर्मित हार
प्रभु को वैष्णव परंपरा के सभी मंगल चिन्हों- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल कलश दर्शाने वाले वैजयंती या विजयमाल से सुशोभित किया गया है. यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा व स्वर्ण निर्मित हार है. इसमें देवता को प्रिय 5 प्रकार के पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है.
भगवान को स्वर्ण पर निर्मित रत्नजड़ित करधनी (कमर में) धारण करायी गई है जिसको हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्नों से अलंकृत किया गया है. पवित्रता को बोध कराने वाली छोटी-छोटी 5 घंटियां भी इसमें लगायी गयी हैं.
भगवान को दोनों भुजाओं में पहनाए स्वर्ण व रत्न जड़ित भुजबन्ध
इसके अलावा भगवान को दोनों भुजाओं में स्वर्ण व रत्नों से जड़ित भुजबन्ध, हाथों में रत्नजड़ित कंगन पहनाए गए हैं. दोनों हाथों में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं सुशोभित की गई हैं. पैरों में सोने की पैजनियां पहनायी गयी हैं. साथ ही रत्नजड़ित हीरे और माणिक्य से जुड़े छड़े भी पहनाए गए हैं.
प्रभु के बाएं हाथ में रत्न जड़ित सोने का धनुष और दायां हाथ में सोने का बाण धारण कराया गया है.
शिल्पमंजरी संस्था की ओर से तैयार रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला भगवान के गले में धारण करायी गई है.
इसके अतिरिक्त भगवान के मस्तक पर मंगल तिलक को हीरे व माणिक्य से रचा गया है और चरणों के नीचे सुसज्जतित कमल के नीचे एक स्वर्णमाला भी सुशोभित की गई है.
प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के विराजमान होने की वजह से उनके सामने खेलने के लिए चांदी के निर्मित खिलौने -झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू भी रखे गए हैं.
भगवान श्रीरामलला के प्रभा-मण्डल के ऊपर सोने का छत्र लगाया गया है.
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