सदियों बाद अपनी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में रामलला विराजमान हुए हैं. प्राण प्रतिष्ठा के दिन रामलला का जो श्रंगार किया गया उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. रामलला की सुंदर प्रतिमा पर सोने, हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़े आभूषणों ने प्रतिमा की खूबसूरती में चार-चांद लगा दिए. प्राण-प्रतिष्ठा के दिन की रामलला की जो तस्वीरें सामने आईं, उनमें उनका रूप बेहद मनमोहक नजर आ रहा है.
रामलला के आभूषण लखनऊ में तैयार हुए हैं. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि लखनऊ के हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने आभूषण बनाए हैं. भगवान राम के भव्य आभूषणों को यतींद्र मिश्र ने श्रीमद्वाल्मीकि, श्रीरामचरितमानस और आलवन्दार स्त्रोत के अध्ययन और शोध के अनुरूप अपने निर्देशन में तैयार करवाए हैं. रामायण में भगवान राम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप ज्वैलर्स ने आभूषणों को तराशा है. सिर के मुकुट से लेकर, गले के हार, माथे के तिलक, अंगूठी, कमर बंद, हाथों के कंगन और कानों के कुंडल हर एक आभूषण को जिस खूबसूरती से तराशा गया है, उसकी चर्चा हर तरफ है. रामलला के आभूषण कितने दिन में कैसे तैयार किए गए, कितनी कीमत है और उनमें सोने-हीरों के अलावा कौन-कौन से रत्न जड़े हैं, आइए डिटेल में जानते हैं-
रामलला को पहनाए गए कुल 14 जेवर
श्यामलाल ज्वैलर्स के अंकुर अग्रवाल ने बताया कि रामलला को मुकुट समेत 14 जेवर पहनाए गए हैं. इन जेवरों को 10-12 दिनों में तैयार किया गया है. 1 जनवरी को ट्रस्ट ने उन्हें फोन करके जेवर बनाने का ऑर्डर दिया और 2 जनवरी को वह रामलला का माप लेने के लिए अयोध्या गए. इतना ही नहीं उनके खेलने के लिए सोने-चांदी के हाथी घोड़े और 6 खिलौने भी बनाए गए. इन 14 आभूषणों में रामलला का मुकुट, कानों के कुंडल, गले के लिए चार हार, हाथों में कंगन, कमर बंद, उंगली में अगूंठियां, तिलक और धनुष-बाण शामिल हैं.
रामलला के आभूषणों की क्या है खासियत
रामलला के हर आभूषण को रामायाण में किए गए वर्णन के अनुरूप तैयार किया गया है. आइए जानते हैं उनके जेवर की खासियत क्या है-
मुकुट
रामलला का मुकुट बेहद अद्भुत है. मुकुट 1 किलो 700 ग्राम सोने से बना है. रामलला के मुकुट में ही 75 कैरेट डायमंड, 175 कैरेट पन्ना, 262 कैरेट रूबी और माणिक्य लगा है. मुकुट में सूर्यवंशी के प्रतीक के तौर पर सूर्य का चिन्ह भी बनाया गया है और 2 हीरे लगाए हैं, जो सैकड़ों साल पुराने बताए जा रहे हैं. मुकुट में मयूर और मछली भी बनाई गई हैं. मुकुट में तीन पंखी और बीचों-बीच बड़ा सा एक पन्ना लगा है. पन्ना बुध का स्वामी है. अंकुर अग्रवाल ने बताया कि पन्ना राजघरानों की पहचान होती है इसलिए इन्हें आभूषणों में लगाया गया.
तिलक
भगवान राम का तिलक 16 ग्राम सोने का है. इसके बीच में तीन कैरेट हीरे और दोनों तरफ लगभग 10 हीरे लगाए गए हैं. तिलक के बीच में खास माणिक्य लगाया गया है. अंकुर अग्रवाल ने बताया कि तिलक की खास बात यह है कि हर राम नवमी के दिन ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें तिलक पर नीचे से आएंगी और अगले 5 मिनट में ऊपर की तरफ होती हुईं मुकुट की तरफ जाएंगी. इस तरीके से तिलक को तैयार किया गया है.
अंगूठी
रामलला के हाथ में पन्ना की अंगूठी पहनाई गई है. इस अंगूठी का वजन लगभग 65 ग्राम है. दाहिने हाथ में 26 ग्राम की सोने की अंगूठी भी है. सोने की अंगूठी में माणिक्य जड़ा है.
गले का हार
रामलला के गले में सोने की विजयमाला भी पहनाई गई है. यह विजयमाला गले से उनके पैरों तक है. इसे 22 कैरेट सोने से तैयार किया गया है. विजयमाला में वैष्णव परंपरा के सभी मंगल चिन्ह- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्म, शंख और मंगल-कलश को दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों को भी अलंकरित किया गया है, ये फूल- कमल, चम्पा, पारिजात, कुंद और तुलसी हैं.
रामलला के गले में लगभग 500 ग्राम सोने का हार भी है, जिसमें करीब 150 कैरेट माणिक्य और 380 कैरेट पन्ना लगाया गया है. हार के बीच में सूर्यवंश का चिन्ह है. चिन्ह के बीच में माणिक्य लगा है, जो सूर्य भगवान का ही रत्न है और साइड में माणिक्य के फूल, पन्ना और नैचुरल डायमंड का इस्तेमाल किया गया है. भगवान राम के गले में पंचलड़ा भी है, जिसमें पांच लड़ियां हैं. ये लड़ियां पंचतत्वों को दिखाती हैं. यह गले से नाभी तक है. इसमें पन्ने और हीरे का उपयोग किया गया है.
कमरबंध या करधनी
रामलला की कमर को सजाने के लिए 750 ग्राम सोने का कमरबंध बना है, जिसमें 70 कैरेट हीरे और 850 कैरेट माणिक्य और पन्ना लगाया गया है. ट्रस्ट ने बताया कि पवित्रता का बोध कराने के लिए कमरबंध में छोटी-छोटी 5 घंटियां लगाई गई हैं. इन घंटियों में मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियां भी लटक रही हैं.
कंगन
रामलला के लिए 22 कैरेट सोने के 400 ग्राम के बाजूबंध बनाए गए हैं. इनके अलावा, रामलला के हाथों में सोने के कंगन भी हैं, जिनमें माणिक्य, पन्ना और हीरे लगाए गए हैं.
धनुष-बाण
रामलला के लिए सोने के धनुष-बाण बनाए गए हैं. धनुष बाण में 1 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है.
रामलला को आभूषण पहनाने में लगा ढाई घंटे का समय
अंकुर अग्रवाल ने बताया कि रामलला को आभूषण पहनाने और पूरा श्रृंगार करने में ढाई घंटे का समय लगा था. उन्होंने बताया कि सात दिन रामलला का अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा. इसके लिए आभूषण भी सात दिन के लिए अलग-अलग बनेंगे. उन्होंने कहा कि इन आभूषणों को बनाने को लेकर ट्रस्ट के साथ उनकी बात होनी है. अंकुर अग्रवाल ने बताया कि उनकी पांच पीढियां इस बिजनेस में हैं और 130 साल से उनका परिवार ज्वैलर के तौर पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि रामलला के आभूषण बनाने का अवसर उन्हें मिला, इसके लिए वह खुद को बेहद भाग्यशाली मानते हैं. अंकुर अग्रवाल ने कहा कि ये प्रभु का ऐसा आशीर्वाद है, जिसके लिए उनकी सब पीढियां जीवनभर कृतज्ञ रहेंगी. यह भगवान का बड़ा आशीर्वाद है. उन्होंने कहा कि इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उन्हें भगवान के आभूषण बनाने के लिए चुना जाएगा. जब यह मौका आया तो आंख में आंसू आ गए. जब-जब जेवर बना रहे थे तो मन में अलग ही भाव थे कि लाखों-करोड़ों ज्वैलर्स में से उन्हें चुना गया भगवान को सजाने के लिए.