नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे बड़े मुकदमे यानि अयोध्या में राम मंदिर मामले की सुनवाई 8 फरवरी 2018 तक टाल दी है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अनुवाद किए गए 19950 पन्नों के दस्तावेज जल्द से जल्द जमा कराएं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल समेत तीन वकीलों ने मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद करने की मांग की.


इस पर कोर्ट ने सिब्बल ने कहा कि क्या हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले सकते हैं. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा- नहीं इसे रिकॉर्ड पर लेने की जरूरत नहीं है. कपिल सिब्बल ने कहा कि आखिर इस मामले को सुनने की इतनी जल्दी क्या है, इसे क्यों नहीं टाला जा सकता? इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि आखिर कहीं तो शुरुआत करनी ही होगी.


वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मौजूदा 3 जजों की बेंच में सुनवाई की पैरवी की. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत कोर्ट को सुनवाई की प्रक्रिया तय करने का अधिकार है. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला धर्मनिरपेक्षता से जुड़ा है जो कि संविधान का एक मूल तत्व है. इसलिए मामला संविधान पीठ में ही जाना चाहिए. कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच को भेजने के मामले पर कुछ नहीं कहा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच इस केस की सुनवाई कर रहे हैं.


पढ़ें आज दिन भर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?




  • सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े हुए वकीलों के बीच गर्मागर्म बहस हुई.


- कई वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी किस मामले की सुनवाई कम से कम 7 जजों की बेंच को करनी चाहिए और इस तरह से उन्होंने कोर्ट की कार्रवाई को लेकर अपना एक तरह से व