अयोध्या: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. लोग राम मंदिर निर्माण के लिए दान और योगदान देने के लिए आगे आने लगे हैं. इसी कड़ी में अयोध्या का एक और भक्त सामने आया है, जिसने राम मंदिर पर फैसला आने के बाद से ही 51 हजार भगवान राम का नाम अंकित ईंटें बनवानी शुरू कर दी है. अयोध्या के तकपुरा निवासी व ईंट भट्ठा मालिक संदीप वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद से ही अव्वल दर्जे की 51 हजार रामनामी ईंटें तैयार कराई जा रही हैं, ताकि उन ईंटों से रामलला के गर्भगृह की नींव भरी जा सके.
उन्होंने बताया कि जिस जगह ईंटे तैयार हो रही हैं, उस जगह को साफ - सुथरा रखा गया है. ईंट बनाने वाले मजदूर नंगे पांव ईंटों के निर्माण में लगे हुए हैं. उन्हें जूते-चप्पल पहनकर जाने की इजाजत नहीं है.
संदीप ने बताया कि रामनामी ईंटें विशेष तरह की मटियारी मिट्टी से बनाई जा रही हैं. ईंट में शुद्धता का भी पूरा ध्यान रखा गया है. ईंटें पाथने के लिए 16 मजदूर लगे हैं, जो रात-दिन मेहनत करके 51 हजार ईंटें तैयार करेंगे. इसके लिए 5 विशेष प्रकार के सांचें तैयार कराए गए हैं.
संदीप ने बताया कि ईंटो को बनाने में करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपये के बीच खर्चा आएगा. अब तक करीब 5 हजार कच्ची ईंटें तैयार हो गई हैं. इन्हें पकाने में लगभग 1 महीने का वक्त लगेगा.
उन्होंने कहा, "हमारी बस इतनी मंशा है कि जब रामलला के मंदिर की नींव बने तो पहली रामनामी ईंट हमारी लगे. राम के प्रति आस्था के कारण ही हमने यह कदम उठाया है. इसमें किसी प्रकार की कोई राजनीति शामिल नहीं है. बस एक भक्त का अपने भगवान के प्रति समर्पण है."
पिछले तीस सालों से इकट्ठी की जा रही हैं ईंटें
अयोध्या की कार्यशाला के लोगों की मानें तो देश ही नहीं बल्कि दुनिया से भी लोग राम मंदिर निर्माण के लिए करीब तीस सालों से ईंटें भेजते रहे हैं. दुनिया के 52 देशों से रामभक्त ईंटों को भेज रहे हैं. इन देशों में अमेरिका, चीन जैसे बड़े देशों के नाम शामिल हैं. कार्यशाला में रखी ईंटों को देखने के लिए लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है. लोग ईंटों को छूकर भगवान राम का नाम जप रहे हैं. इन ईटों के बारे में ठीक से जानने के लिए लोग गाइड का सहारा भी ले रहे है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें
सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से किए गए फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि को रामलला को दे दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने के आदेश भी सरकार को दिए. जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया. इसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं. एक जज ने फैसले से अलग राय जताई है. अभी जज के नाम का कोई जिक्र नहीं है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 40 दिन सुनवाई चली. 6 अगस्त 2019 से इसपर सुनवाई शुरू हुई. 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी.
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा जेयूएच
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि उनका संगठन अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा. उन्होंने कहा कि कोई भी मुस्लिम किसी मस्जिद को उसकी मूल जगह से कहीं और स्थानांतरित नहीं कर सकता, इसलिए मस्जिद के लिए कहीं और जमीन स्वीकार करने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
अयोध्या में मस्जिद का दूसरा विकल्प स्वीकार नहीं, चाहें वो पैसा हो या जमीन
इससे पहले मदनी ने कहा था कि वे मस्जिद के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि स्वीकार नहीं करेंगे. जेयूएच अयोध्या मामले में एक प्रमुख मुस्लिम वादी रहा है. जेयूएच की कार्यकारी समिति की गुरुवार को दिल्ली में हुई बैठक के दौरान संस्था ने कहा कि मस्जिद के लिए दी गई वैकल्पिक भूमि किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है, चाहे पैसा हो, या जमीन हो.
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