नई दिल्ली: छह दिसंबर के इतिहास में दर्ज घटनाओं में 27 बरस पहले उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घटी एक घटना भी प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब उन्मादियों की एक भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी. इससे देश के दो संप्रदायों के बीच पहले से मौजूद रंजिश की दरार बढ़कर खाई में बदल गई. इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें जान और माल का भारी नुकसान हुआ.


9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि- बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला को दे दी है. जिसके बाद राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए तीन महीनों के अंदर एक ट्रस्ट बनाए.


 पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी


बाबरी ढांचा विध्वंस की बरसी 6 दिसंबर को लेकर पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी हुआ है. पुलिस अफसरों को इस दिन अपने कार्यक्षेत्र से बाहर न जाने को कहा गया है. इस दिन जुमा (शुक्रवार) होने के कारण प्रशासन और ज्यादा एहतियात बरत रहा है. पुलिस को मिश्रित आबादी वाले स्थानों पर निगराने करने के लिए कहा गया है. पुलिस को सोशल मीडिया की मॉनीटरिंग के लिए निर्देश दिए गए हैं. कहा गया है कि धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला ट्वीट या फेसबुक पोस्ट दिखते ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.


शासन-प्रशासन मुस्तैद


दरअसल, अयोध्या में ढांचा विध्वंस के बाद से हर साल छह दिसंबर को हिंदू संगठन शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं और मुस्लिम समुदाय काला दिवस (बाबरी शहादत दिवस) मनाता है. हालांकि अयोध्या विवाद में पिछले महीने आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह सभी पक्षों की तरफ से शांति बरती गई और किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई, उससे देश और दुनिया में बड़ा संदेश गया है. कड़ी चौकसी के कारण अराजक तत्व भी अपने नापाक मंसूबे में सफल नहीं हुए.


अब 6 दिसंबर को लेकर भी शासन-प्रशासन के स्तर से एहतियात बरती जा रही है. आशंका है कि इस दिन अराजक तत्व खुराफात कर सकते हैं. ऐसे में सभी जिलों को अलर्ट मोड में कर दिया गया है.


छह दिसंबर 1992 को जब विवादित मस्जिद तोड़ दी गई थी, अयोध्या में हज़ारों नहीं लाखों कारसेवक देश भर से आए थे. इन्हें ठहराने के लिए कारसेवकपुरम बनाया गया था.


बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अयोध्या में दर्ज  हुए दो मुकदमे 


बाबरी विध्वंस मामला लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अयोध्या में दो मुकदमे दर्ज किये गये थे. एक मुकदमा मस्जिद विध्वंस की साजिश रचने का था जबकि दूसरा केस मस्जिद तोड़ने के लिए भीड़ को उकसाने का बना. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केस को एक साथ करने और लखनऊ में एक अलग स्पेशल कोर्ट गठित करने का आदेश दिया था.


किन दिग्गजों की किस्मत है दांव पर


बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपियों में प्रमुख रूप से बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह, सांसद साक्षी महाराज और बृजभूषण सिंह आरोपी हैं. कोर्ट में 1000 गवाहों में से 348 की गवाही पूरी हो चुकी है. राज्यपाल के पद से हटने के बाद सितंबर में कल्याण सिंह ट्रायल कोर्ट में पेशी हो चुकी है. जहां से उन्हें जमानत मिल गई.


वर्तमान में ट्रायल कोर्ट अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश सबूतों पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई पूरी हो जाने के बाद आरोपियों का बयान रिकॉर्ड किया जाएगा. ट्रायल के दौरान कोर्ट में रखे गये सबूत की बुनियाद पर आरोपियों से कोर्ट सवाल करेगा. कोर्ट उन्हें अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब देने का मौका देगा. जवाबी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद बचाव पक्ष आरोपियों के समर्थन में सबूत पेश करेगा. अंत में कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले जिरह की कार्रवाई होगी.


6 दिसंबर को लेकर वीएचपी दो गुटों में बंट गई 


6 दिसंबर को कैसे मनाया जाए ? इस बात पर वीएचपी दो गुटों में बंट गई है. अयोध्या का लोकल संगठन कुछ कह रहा है. इसी मुद्दे पर केन्द्रीय नेतृत्व की अलग राय है. अयोध्या के राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से ही दोनों ख़ेमों में ठनी हुई है. संत समाज भी बंटा हुआ है.


 वीएचपी इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाती रही है. आज के दिन सवेरे अयोध्या में जुलूस निकलता है. देश भर में छोटी छोटी संकल्प सभायें होती हैं. वीएचपी के समर्थक भव्य राम मंदिर बनाने की शपथ लेते हैं. लेकिन अब तो देश की सबसे बड़ी अदालत से फ़ैसला आ चुका है. तो फिर शौर्य दिवस क्यों मनायें ? और मनाये भी तो कैसे ? बस इसी बात पर विश्व हिंदू परिषद में कलह बढ़ गई. अयोध्या के वीएचपी नेता शरद शर्मा ने कहा था कि इस बार लोग अपने अपने घरों पर दीए जलायेंगे . मंदिरों और मठों में भी दीवाली की तरह दीप जलाये जायेंगे.


 इसी बीच महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद शौर्य दिवस मनाने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने अयोध्या के लोगों से अपने अपने घरों में दीए जलाने की अपील की है. नृत्यगोपाल दास राम जन्म न्यास के अध्यक्ष हैं. राम मंदिर के लिए मूर्तियां भी न्यास की देख रेख में ही बन रही हैं. न्यास के वर्कशॉप में ही भरतपुर से लाए गए पत्थर तराशे जाते हैं. इन्हीं पत्थरों से राम मंदिर बनाए जाने की चर्चा है.


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